Tuesday, November 22, 2011

वो कहती है

वो कहती है सुनो जाना मोहोब्बत मोम का घर है
तपिश ये बदगुमानी की कहीं पिघला न दे इसको

मैं कहता हूँ की जिस दिल में जरा भी बदगुमानी हो
वहां कुछ और हो तो हो मोहोब्बत हो नहीं सकती
...
वो कहती है सदा ऐसे ही क्या तुम मुझ को चाहोगे
की मैं इस में कमी बिलकुल गंवारा कर नहीं सकती

मैं कहता हूँ मोहोब्बत क्या है ये तुम सिखाया है
मुझे तुम से मोहोब्बत के सिवा कुछ भी नहीं आता

वो कहती है जुदाई से बहुत डरता है मेरा दिल
की खुद को तुम से हट के देखना मुमकिन नहीं है अब

मैं कहता हूँ यही खटके बहुत मुझको सताते है
मगर सच है मोहोब्बत में जुदाई साथ चलती है

वो कहती है बताओ क्या मेरे बिन जी सकोगे तुम
मेरी बातें, मेरी यादें, मेरी आँखें, भुला दोगे

मैं कहता हूँ कभी इस बात पर सोचा नहीं मैंने
अगर एक पल को भी सोचूं तो साँसें रुकने लगती है

वो कहती है तुम्हे मुझसे मोहोब्बत इस कदर क्यों है
की मैं एक आम सी लड़की तुम्हे क्यों ख़ास लगती हूँ

मैं कहता हूँ कभी खुद को मेरी आँखों से तुम देखो
मेरी दीवानगी क्यों है ये खुद ही जान जाओगी

वो कहती है मुझे वारफ्तगी से देखते हो क्यों
की मैं खुद को बहुत कीमती महसूस करती हूँ

मैं कहता हूँ मता-ऐ-जां बहुल अनमोल होती है
तुम्हे जब देखता हूँ जिंदगी महसूस करता हूँ

वो कहती है मुझे अल्फाज़ के जुगनू नहीं मिलते
तुम्हे बतला सकूँ दिल में मेरे कितनी मोहोब्बत है

मैं कहता हूँ मोहोब्बत तो निगाहों से छलकती है
तुम्हारी ख़ामोशी मुझसे तुम्हारी बात करती है

वो कहती है बताओ न किसे खोने से डरते हो
बताओ कौन है वो जिसे ये मौसम बुलाते है

मैं कहता हूँ ये मेरी शायरी है आईना दिल का
बताओ क्या तुम्हे इस में नज़र आया

वो कहती है की सुनिए जी बहुत बातें बनाते हो
मगर सच है ये बातें बहुत शाद रखती हैं

मैं ये कहता हूँ ये सब बातें फ़साने ये सब एक बहाना है
की पल कुछ जिंदगानी के तुम्हारे साथ कट जायें

फिर उसके बाद ख़ामोशी का दिल रक्स होता है
निगाहें बोलती हैं और लब खामोश रहते हैं

यूँ छोड़ के न जाना

कहा था ना कि यूँ सोते हुए मत छोड़े के जाना
मुझे बेशक जगा देना बता देना
तुम्हे रास्ता बदलना है मेरी हद से निकलना है
तुम्हे किस बात का डर था मैं तुम्हे जाने नहीं देता
कहीं पर कैद कर लेता अरे पागल
मोहोब्बत कि तबियत में जबरदस्ती नहीं होती
जिसे रास्ता बदलना हो उसे रास्ता बदलने से
जिसे हद से निकलना हो उसे हद से निकलने से
न कोई रोक पाया है न कोई रोक पायेगा
तो तुम्हे किस बात का डर था
मुझे बेशक जगा देते मैं तुम को देख ही लेता
तुम्हे कोई दुआ देता कम से कम यूँ तो न होता
मेरे साथी ये हकीकत है तुम्हारे बाद खोने के लिए कुछ नहीं बाकी
मगर मैं खोने से डरता हूँ मैं अब सोने से डरता हूँ
कहा था न यूँ छोड़ के न जाना, यूँ छोड़ के न जाना !!

Pyaas

Pyaas wo dil ki bujhane kabhi aaya bhi nahi !
Kaisa badal hai ki jiska koi saya bhi nahi !

Berukhi is se badi or bhla kya hogi ,
Ek muddat se hume usne sataya bhi nahi !

Roz aata hai dar-e-dil pe wo dastuq dene ,
Aaaj tuk humne jise pass bulaya bhi nahi !

Sun liya kaise khuda jaane jamaane bhar ne..
Wo fasaana jo kabhi humne sunaya bhi nahi !

Tum to sayar ho aur wo ek aam sa shaks..
Usne chaha bhi tujhe or jataya bhi nahi !

Gum kya karen

Dil gaya,tum ne liya hum kya karen
Jane wali chiz ka Gum kya karen

Poore honge apne armaan kis tarah
Shauq behad,waqt hai kum,kya karen

Baksh den pyar ki gustakhiyan
Dil hi qaboo mein nahin, hum kya karen

Ek sagar per hai apni zindagi
Rafta rafta is se bhi kum kya karen

Kar chuke sab apni-apni hikamaten
Dum nikalta hai ai mere humdum kya karen

mamla hai aaj husn-o-ishq ka
Dekhiye vo kya karen,hum kya karen