Thursday, October 4, 2012

चाँद कहूँ या चाँद जैसा कहूँ

उनके ही ख्याल में रात गुज़र जाती है,
बेबसी के हाल में रात गुज़र जाती है,

वो मुझे याद करता है कि नही,
इसी सवाल में रात गुज़र जाती है,

उनके चेहरे का अक्स ज़हन में बनाता हूँ,
तसव्वुर-ऐ-हिलाल में रात गुज़र जाती है,

उन्हें चाँद कहूँ या चाँद जैसा कहूँ,
सोचों के जाल में रात गुज़र जाती है,

काश कि वो हर वक़्त मेरे साथ रहे
इसी " ख्वाहिश-ऐ-कमाल " में रात गुज़र जाती है...!!

हम सा दीवाना हो नहीं सकता

उसे कह दो वोह मेरा है, बेगाना हो नहीं सकता,
बोहत नायाब है, उस जैसा ज़माना हो नहीं सकता,

उनके साथ जो गुज़रा वोह मौसम याद आता है,
उनके बाद का मौसम सुहाना हो नहीं सकता,

छुपाने से नहीं छुपता, दिखाने से नहीं दिखता,
यह आतिश-ऐ-इश्क है, इस में बहाना हो नहीं सकता,

वो दिल पे नक्श हो जाए, निगाहों में समा जाये,
कि इस दिल में किसी का फिर से आना हो नहीं सकता,

बहुत हैं चाहने वाले उनके, हमने सुना है पर,
कोई भी दूसरा हम सा दीवाना हो नहीं सकता…♥ !!!