Thursday, April 9, 2015

ये आसमां से ख्याल

ये आसमां से ख्याल तक
एक अधूरी जमीं की प्यास है

ये मिट ना सके तूफ़ान तक
मेरे दिन रात भी उदास है
ये आसमां से ख्याल..................
कोई मजबूर है शहर इतना
के रूह तो मिल जाये आस है
ना टूट सके डोर लहुँ के
मुझे अब दुश्मनो की तलाश है
ये आसमां से ख्याल..................
मैं लड़ रहा हूँ परछाइयां मेरी
पीछे रह जाये जो अब पास है
कौन अपना है कौन रक़ीब यहां
यूँ जो तन्हा अब, क्या खास है
ये आसमां से ख्याल..................
मुझ से रब रूठ गया है शाम से
मेरे ख़्वाब में मिल जाये दरख़ास्त है
मेरे चाँद को भी है फिक्र मेरी
चांदनी लुटाए मुझपे के जब तक सांस है
ये आसमां से ख्याल..................
ये आसमां से ख्याल तक
एक अधूरी जमीं की प्यास है...............

वीरान

ख़्वाबों से, बाहर तो निकलो,तुम आज,हक़ीक़त बन जाओ|
जागी हो , नीँद से जो अपनी मेरी वो , किस्मत बन जाओ||
ख़्वाहिश की, तरह जो सुंदर हो,साँसों में समाया,चन्दन हो,
मन्दिर की एक, मूरत हो जैसी, प्यारी सी,सूरत बन जाओ||
हो सीने में , धड़कता दिल मेरा , पर उसमें धड़कन हो तेरी,
सांसों में, उलझी साँसे हो, तुम जीने की, जरूरत बन जाओ||
आँखों से, छलकती हो मदिरा,लब मय से भरे दो पैमाने हों,
प्यासा ही रहे , बस पीने वाला तुम ऐसा, शरबत बन जाओ||
"वीरान" कभी , करवट लेकर बिस्तर की, सिलवट से पूंछों,
कहती है, सुबह हम मिट जायेंगें,ग़र मेरी,हसरत बन जाओ||