Thursday, December 19, 2013

रत्वान रोमेन खिमेनेस

भूलना प्रायः प्राकृतिक है जबकि याद रखना प्रायः कृत्रिम है।

किथ बेलोज़ (मुख्‍य संपादक, नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी)

“दुनिया के कुछ हिस्‍से ऐसे हैं जहां एक बार जाने के बाद वे आपके मन में बस जाते हैं और उनकी याद कभी नहीं मिटती। मेरे लिए भारत एक ऐसा ही स्‍थान है। जब मैंने यहां पहली बार कदम रखा तो मैं यहां की भूमि की समृद्धि, यहां की चटक हरियाली और भव्‍य वास्‍तुकला से, यहां के रंगों, खुशबुओं, स्‍वादों और ध्‍वनियों की शुद्ध, संघन तीव्रता से अपने अनुभूतियों को भर लेने की क्षमता से अभिभूत हो गई। यह अनुभव कुछ ऐसा ही था जब मैंने दुनिया को उसके स्‍याह और सफेद रंग में देखा, जब मैंने भारत के जनजीवन को देखा और पाया कि यहां सभी कुछ चमकदार बहुरंगी है।”

मेक्‍स मुलर (जर्मन विद्वान)

"यदि हम से पूछा जाता कि आकाश तले कौन सा मानव मन सबसे अधिक विकसित है, इसके कुछ मनचाहे उपहार क्‍या हैं, जीवन की सबसे बड़ी समस्‍याओं पर सबसे अधिक गहराई से किसने विचार किया है और इसकी समाधान पाए हैं तो मैं कहूंगा इसका उत्तर है भारत।"

सिल्विया लेवी (फ्रांसीसी विद्वान)

"भारत ने शताब्दियों से एक लम्‍बे आरोहण के दौरान मानव जाति के एक चौथाई भाग पर अमिट छाप छोड़ी है। भारत के पास उसका स्‍थान मानवीयता की भावना को सांकेतिक रूप से दर्शाने और महान राष्‍ट्रों के बीच अपना स्‍थान बनाने का दावा करने का अधिकार है। पर्शिया से चीनी समुद्र तक साइबेरिया के बर्फीलें क्षेत्रों से जावा और बोरनियो के द्वीप समूहों तक भारत में अपनी मान्‍यता, अपनी कहानियां और अपनी सभ्‍यता का प्रचार प्रसार किया है।"

चकबस्त

कमाले बुजदिली है , पस्त होना अपनी आँखों में ।
अगर थोडी सी हिम्मत हो तो क्या हो सकता नहीं ॥

कबीर

कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर ।
पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर ॥

क्लिफ़ोर्ड स्टॉल

कोई शाम वर्ल्ड वाइड वेब पर बिताना ऐसा ही है जैसा कि आप दो घंटे से कुरकुरे खा रहे हों और आपकी उँगली मसाले से पीली पड़ गई हो, आपकी भूख खत्म हो गई हो, परंतु आपको पोषण तो मिला ही नहीं..

नार्मन कजिन

जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है ।
जब कभी भी किसी सफल व्यापार को देखेंगे तो आप पाएँगे कि किसी ने कभी साहसी निर्णय लिया था.

जोनाथन स्विफ्ट

अधिकांश लोग अपनी दुर्बलताओं को नहीं जानते, यह सच है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अधिकतर लोग अपनी शक्ति को भी नहीं जानते...
जो समर्थ हैं उनके लिये अति भार क्या है ? व्यवसायियों के लिये दूर क्या है? विद्वानों के लिये विदेश क्या है? प्रिय बोलने वालों के लिये कौन पराया है ?

हरिशंकर परसाई

मैंने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो खरीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दखल देती है।

महाभारत

न हि कश्चिद् आचारः सर्वहितः संप्रवर्तते ।

कोई भी नियम नहीं हो सकता जो सभी के लिए हितकर हो...

रावणार्जुनीयम्

विपत्ति में पड़े हुए का साथ बिरला ही कोई देता है।

गलती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेजी से सीख रहे हैं ।

नेपोलियन

आदमी सिर्फ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ |

महाभारत

हीन लोगों की संगति से अपनी भी बुद्धि हीन हो जाती है , समान लोगों के साथ रहनए से समान बनी रहती है और विशिष्ट लोगों की संगति से विशिष्ट हो जाती है ।

रवीन्द्रनाथ ठाकुर

चिड़िया कहती है, काश, मैं बादल होती। बादल कहता है, काश मैं चिड़िया होता।