Tuesday, May 26, 2015

Noor Tera

Na ho Jis Mein Noor Tera
Woh Chiraag Hee bhoojha doon.

Mujhe bhool Jaya Duniya...
Mein Agar Tujhe Bhula Doon.

Meri Ishiq Keh Rahi Hai...
Tujhe Khuda Banadoon.

Tera Naam loun Zubaa se...
Tere Aage Sarr Jhuka Doon

प्यार बढ़ता है

उसे वो लड़की पसंद आ गयी थी ,क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी ???उसने पूछा
वो मान गयी ! वो फिर उसे एक रेस्टरां में ले गया ! अभी पढ़ ही रहा था इसलिए जेब में ज़्यादा पैसे भी नहीं थे ! पर बैरा आया और उसने पूछा तो उसे दो मैंगो शेक का आर्डर दे ही दिया .
गर्मी काफी थी वो दोनों एक दूसरे को देख कर धीरे धीरे बाते करते रहे ,लड़की सकुचा रही थी हाँ हूँ कर देती थी कभी कभी !वेटर उनका पेय ले आया था !लम्बे गिलास एक कांच का स्टेरेर ,
एक खिलौना छतरी और एक स्ट्रॉ लगा था !देखने में बहुत आकर्षक लग रहा था सब ,माहौल भी अच्छा ,धीमा धीमा संगीत ,हलकी रौशनी लिए अँधेरा !उसने अपना गिलास लिया और सारा पी गया लड़की ने अभी शुरू भी नहीं किया था ,
पर ठंडा मीठा पेय उसके लिए तो थोड़ा रह गया था उसने अपने गिलास से स्ट्रॉ निकला ,लड़की के गिलास में डाला और बोला "अब मैं तेरा जूठा पियूँगा ,पता है ऐसा करने से प्यार बढ़ता है"

सुरूर

ताल मूवी देखे हुए काफी टाइम हो गया है ,
लेकिन आज भी जब बारिशों में भीगते हुए घास के हरे मैदान देखता हूँ, या जब भी दिमाग में सुरूर सा आता है, तो मुझे ये गाना और यही सीन याद आते हैं,
ऐश्वर्या राय मुझे ख़ास पसंद नहीं रही, ख़ास कर "खाकी" में इन्स्पेक्टर शेखर यानी अक्षय कुमार को मरवा देने के बाद से तो बिलकुल भी नहीं. लेकिन जब भी बारिश होती है
तो यही दिमाग में आता है और साथ में स्केट्स पे दोनों हाथ फैला के बारिश में चलता हुआ मै खुद को अक्षय खन्ना समझने लगता हू...

पंख निकल आये थे

वो एक खुबसूरत सी तेज और ताकतवर मेहनती चींटी थी |
वो फूट फूट कर रोई थी जब उसने सुना कि
बांबी की हिफाजत करते जिस मजबूत चीटे को वो प्यार करती थी उसके पंख निकल आये थे |
पंख वाले चींटे अब रोशनी से दिल लगाते थे |
उनकी लाशें अक्सर दीयों , लेम्पों और रात में जलते बल्बों के आस पास मिलती थी जिनमे आग के निशाँ होते थे |
लोग कयास लगते थे कि ये दिल लगाने का अंजाम है या दिल तोड़ने का ।

अब आया मजा बच्चू

बचपन में बुखार आया था, मम्मी कॉलोनी में ही एक फिजिशियन थे उनके पास ले गई, डॉक्टर साहब ने देख कर कहा
" हुम्म, मलेरिया है, इंजेक्शन लगेंगे"
(तभी क्लिनिक में लगे हरे परदे के पीछे से जोर की आवाज आई)
"पापाआआअ, अईई, सुबुक सुबुक"
2 मिनिट बाद कॉलोनी में ही रहने वाले शर्मा अंकल अपनी बेटी रानू के साथ बाहर आये, रानू भें! भें! कर के रो रही थी, लेकिन मुझे देखते ही चुप हो गई, क्युकी मै मुस्कुरा रहा था। डॉक्टर साहब बोले "इसे भी मलेरिया ही है"
मम्मी ने कहा-मेरे बेटे को तो टेबलेट्स और मीठी दवाई ही लिख दीजिये।
(मैंने रानू की ओर देखा वो मुझे यु देख रही थी जैसे कह रही हो 'डरपोक' ये तो इज्जत का सवाल हो गया मैंने कहा)
"नहीं मम्मी मै नहीं डरता, सर मुझे जल्दी ठीक होना है आप तो मुझे इंजेक्शन ही लिख दीजिये"
(अब परदे के पीछे मै था, आवाज आई "मम्मीईईईईई इ इ इ", बाहर आया तो रानू मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी, जैसे कह रही हो 'अब आया मजा बच्चू')

मोहब्बत का नशा


मोहब्बत का नशा भी अज़ब सा है.. बिना कुछ पिए चढ़ जाता है.. हर पल में जीने का एहसास सा होता है..
छोटी-2 खुशिया भी बड़ी सी लगने लगती है.. उस'से बात हो ना हो, एक मेसेज आने से शाम बन जाती है..
कोयल की आवाज़ भी बाहर वाले पेड़ से सुनाई देने लगी है.. हवाओं में भी अलग सी सरसराहट महसूस होती है..
कानो में हलके से उसकी आवाज़ सुनाई पड़ जाती है.. उसकी मुस्कराहट से अच्छा कोई संगीत लगता ही नहीं है...
राह चलते अक्सर उसकी झलक दिख जाती है.. दिल जानता है वो नहीं है अभी यहाँ, फिर भी भीड़ में उसी के चेहरे
को जाने क्यों ये दिल तलाश करता है.. जब से बताया है उसे अपने दिल का हाल, तब से सारे हाल बेहाल से लगते है..
अपनी तरफ से पूरी कोशिश हो चुकी है, अब उसके इनकार या इकरार की देर है.. साला ये इंतज़ार भी बड़ी कुत्ती चीज़ है..
मज़े के साथ-2 बेकरारी भी बढ़ा देती है.. खैर हां या ना की फ़िक्र ना करके बस इस पल का मज़ा लिए जा रहे है.. प्यार है
भी और नहीं भी, ये भी बड़ा सा कन्फ्यूजन है.. दोस्ती में प्यार या प्यार में दोस्ती, इसी में लगे है.. सबसे अच्छा दोस्त ही
अगर हमसफ़र बन जाए तो फिर मंजिल तक पहुचने में बड़ा मज़ा आये.. मतलब फीलिंग ही ऐसी है की कलम उठाकर कुछ भी लिख दो..
वैसे एक बात तो रह ही गई.. आज पूर्णिमा का चाँद भी कुछ ज्यादा ही बड़ा लग रहा है ।।।।

जब साथ हो नशा शराब का

लौंडे शराब के नशे में ही अच्छे इंसान नज़र आते है
बिछड़े दोस्त को गाली दे गले लगाते है
अपनी पुरानी माशूका को
फोन कर दिल का हाल बताते है
जुबां पे पूरी सच्चाई लाते है
पुराने गाने सुनते है, गुनगुनाते है
और अंतहीन यादो में खो जाते है
दिखावटी दुनिया जो झूठी बाते रखती जाती है
उसे ये लौंडे ब्लेंडर्स के नशे में खोले जाते है
"कोई प्रपंच नहीं
कोई मोह नहीं
जब साथ हो नशा शराब का
तो फिक्र की कोई लोड नहीं " चियर्स।

मैं ऐसा ही हूँ.

मैं ऐसा ही हूँ..
थोड़ा शरारती हूँ..
थोड़ा शर्मीला..
गाने पे तुम्हारे सामने नाच नहीं सकता..
बस वो गाना कैसेट में रिकॉर्ड करा के तुम्हे दे सकता हूँ..
और अपने कमरे में..
पढाई खत्म करने के बाद..
उस गाने पे नाच भी सकता हूँ..
तुम्हारे सामने आऊंगा..तो
हकला जाऊँगा..
इसीलिए चुप रहता हूँ..
और मुस्कुरा के तुम्हे देखता रहता हूँ..