Monday, May 14, 2012

तुमको खबर तो हो

हमारे वास्ते कोई दुआ मांगे, असर तो हो

हक़ीक़त में कहीं पर हो न हो आंखों मे घर तो हो

तुम्हारे प्यार की बातें सुनाते हैं ज़माने को

तुम्हें खबरों में रखते हैं, मगर तुमको खबर तो हो…

उसने थामा था हाथ मेरा

एक रोज़ उसने थामा था हाथ मेरा
मेरे हाथ से उसके हाथ की खुशबु नहीं जाती

वो बहुत प्यार से पुकारते थे नाम मेरा
मेरे कानो से उनकी वो आवाज़ नहीं जाती

मैं बुलाता भी नहीं था और वो आ जाते थे
अब बोलने पर भी मेरी आवाज़ उन तक नहीं जाती

बस चुके हैं वो मेरी नस नस मैं लहू की तरह
मेरी उल्फत उनकी रूह में उतर क्यों नहीं जाती.?

मैं जानता हूँ ये शहर ये रास्ते उनके नहीं
फिर भी मेरी आँखों से इंतज़ार की आदत नहीं जाती......

तबियत घबराती है

"शाम अगर जल्दी ढल जाए तबियत घबराती है,

एक समय के बाद तुम्हारी आदत चिल्लाती है ,

जो बेचैनी सिर्फ तुम्हारे होने पर होती थी

हम दोनों जब अलग हो गए क्यूँ आती-जाती है ...."

Dil aakhir tu kyun rota hai

Jab jab dard ka baadal chaya

Jab ghum ka saya lehraya

Jab aansoo palkon tak aya

Jab yeh tanha dil ghabraya

Humne dil ko yeh samjhaya

Dil aakhir tu kyun rota hai

Duniya mein yunhi hota hai

Yeh jo gehre sannate hain

Waqt ne sabko hi baante hain

Thoda ghum hai sabka qissa

Thodi dhoop hai sabka hissa

Aankh teri bekaar hi nam hai

Har pal ek naya mausam hai

Kyun tu aise pal khota hai

Dil aakhir tu kyun rota hai

वफ़ा निभा दी बारिश ने

आज फिर मुझको उसकी याद दिला दी बारिश ने
दिल में जो भूल की आग थी बुझा दी बारिश ने

मैं तनहा था अपने घर में ज़माने से परे
मगर मेरे घर की दीवार गिरा दी बारिश ने
...
उस के जिक्र से हो गयी मेरी आंखें नम
मगर दोस्तों में ये सारी बात छुपा दी बारिश ने

सुना है, वो भी रोया है आज बहुत
लगता है उनको मेरी याद दिला दी बारिश ने

वो बेवफा हुआ तो फिर क्या हुआ
आज मेरे साथ रो कर वफ़ा निभा दी बारिश ने.......

तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है

तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है

तीर पार कान्हा से दूर राधिका-सी है

शाम की उदासी में याद संग खेला है

कुछ ग़लत न कर बैठे मन बहुत अकेला है

औषधि चली आओ चोट का निमंत्रण है

बाँसुरी चली आओ होंठ का निमंत्रण है !!!!

ज़िन्दगी है तुम्हारे लिये

हमें जब भी कभी वे दिन पुराने याद आते हैं ,

तुम्हारे पास जाने के बहाने याद आते हैं ,

जहाँ हमने तुम्हारे साथ में मिलकर बुने सपने ,

न जाने क्यूँ अभी तक वे ठिकाने याद आते हैं ,


*आ भी जाओ हमारे लिये

हम खड़े हैं सितारे लिये ,

कैसे तुमको यकीं आएगा,

ज़िन्दगी है तुम्हारे लिये...!!

Qayamat Ho Hi Jati Hai.

Ye Zehmat Bhi To Rafta Rafta Rehmat Ho Hi Jati Hai

Musalsal Gham Se Gham Sahne Ki Aadat Ho Hi Jati Hai

Miseeha Ho Agr Tum Sa Zarorat Kiya Hai Marham Ki

K Kantoon Se Bhi Zakhmon Ki Jarahat Ho Hi Jati Hai

Talooq Jin Se Ho Un Par Gilaa Aya Hi Karta Hai

Muhabbat Jin Se Ho Un Se Shikayat Ho Hi Jati Hai

Zarori To Nhi Suraj Sawa Naze Pe Ho "Mohsin"

Koi Apna Badal Jaey Qayamat Ho Hi Jati Hai...!!

रुसवाई का बहाना होगा

दर्द को कही गहरे में छुपाना होगा
सबके सामने हंसना मुस्कुराना होगा

पल पल टूटते हैं विश्वास के किले
ताश के पत्तों को फ़िर से सजाना होगा

भरम रखना है मोहब्बत का दिल में
उस गली में अब रोज़ आना जाना होगा

चुभते हैं कांटे ये उनकी फ़ितरत है
फूलों को अपना दामन बचाना होगा

ऐ लब कभी भूले से नाम ना लेना
उनके होंठो पे रुसवाई का बहाना होगा

बैठ कश्ती में मौज से लड़ना और है ...

धूप में पावों का जलना और है
पड़ गए छालों से उभरना और है ...

समंदर की चाहें जितनी बाते कर लो
बैठ कश्ती में मौज से लड़ना और है ...

आँखों में ख्वाब सजाना आसान है
कभी टूटते तो अश्क का लरजना और है ...

बाग़ में मुस्कुराते गुलों पर बैठी
चुप चाप तितलियाँ पकड़ना और है ...

अभी मन को तुम आज़ाद घूमने दो
क़ैद परिंदों के पर बाँधना और है ...

खुले हैं दरवाज़े इंतज़ार में अब तक
उस का लौट के नहीं पहुचना और है ...

लिखने को लिख दी है आज ग़ज़ल हमने
उससे लफ्ज़ - लफ्ज़ समझ सकना और है ...

ज़ख्म हरे होने का सबब जो हो 

वक़्त के साथ घाव का भरना और है ...