प्रकृति, समय और धैर्य ये तीन हर दर्द की दवा हैं ।
Wednesday, December 25, 2013
श्रीमदभग्वदगीता
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् ।
(कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार है, फल में कभी भी नहीं)
(कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार है, फल में कभी भी नहीं)
चाणक्य
मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती,
धर्म करने से पाप नहीं रहता,
मौन रहने से कलह नहीं होता और
जागते रहने से भय नहीं होता |
धर्म करने से पाप नहीं रहता,
मौन रहने से कलह नहीं होता और
जागते रहने से भय नहीं होता |
लार्ड बायरन
पुरुष के लिए प्रेम उसके जीवन का एक अलग अंग है पर स्त्री के लिए उसका संपूर्ण अस्तित्व है।
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