Tuesday, May 8, 2012

कभी कभी

यूँ तो रहते हो पास मेरे हर वक़्त
फिर भी ये शिकायत होती है कभी कभी

वादा तो है साथ रहने का उम्र भर
पर गुजर न जाये ये उम्र शिकात होती है कभी कभी

मेरे हर एहसास में हो तुम दूर होकर भी पास हो तुम
पर एक पल की दूरी से भी शिकायत होती है कभी कभी

याद है मुझे हमारी हर मुलाक़ात
और इन्ही यादों से शिकायत होती है कभी कभी

कभी कभी माँगा है दुआओं में तुझे इस कदर
की शिकायत होती है उस खुदा से भी कभी कभी

यूँ अपनी ज़िन्दगी से मिले

हम तो यूँ अपनी ज़िन्दगी से मिले
अजनबी जैसे अजनबी से मिले
हर वफ़ा एक जुर्म हो गोया
दोस्त कुछ ऐसी बेरुख़ी से मिले
फूल ही फूल हम ने माँगे थे
दाग़ ही दाग़ ज़िन्दगी से मिले
जिस तरह आप हम से मिलते हैं
आदमी यूँ न आदमी से मिले