Tuesday, April 7, 2015

काँच की चूड़ियाँ

ख़त में बारीकियाँ चमकती हैं...
फूल सी उँगलियाँ चमकती हैं...|
चाँद सो कर उठा है कमरे में...
दूर से खिड़कियाँ चमकती हैं...|
घर में इक रोशनी सी होती है...
काँच की चूड़ियाँ चमकती हैं...|
मेरे हाथों की इन लकीरों में...
मेरी महरूमियाँ चमकती है....|

दर्द के कारवाँ

कुछ तो मैं भी बहुत दिल का कमज़ोर हूँ
कुछ मुहब्बत भी है फ़ितरतन बदगुमाँ
तज़करा कोई हो ज़िक्र तेरा रहा
अव्वल-ए-आख़िरश दरमियाँ दरमियाँ
जाने किस देश से दिल में आ जाते हैं
चांदनी रात में दर्द के कारवाँ........

सिसकियों में,

बीत जाती है जिसकी पूरी रात सिसकियों में,
वो शख्स,
दिन के उजालों में सारेजहाँ को हँसाता फिरता हैं...!!!

आंखों को अभी ख़्वाब छुपाने नहीं आते

होठों पे मुहब्बत के फ़साने नहीं आते
साहिल पे समंदर के ख़ज़ाने नहीं आते।
पलके भी चमक उठती हैं सोते में हमारी
आंखों को अभी ख़्वाब छुपाने नहीं आते।
दिल उजडी हुई इक सराय की तरह है
अब लोग यहां रात बिताने नहीं आते।
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते।
इस शहर के बादल तेरी जुल्फ़ों की तरह है
ये आग लगाते है बुझाने नहीं आते।
क्या सोचकर आए हो मुहब्बत की गली में
जब नाज़ हसीनों के उठाने नहीं आते।
अहबाब भी ग़ैरों की अदा सीख गये है
आते है मगर दिल को दुखाने नहीं आते।

इस शराबख़ाने में

लोग टूट जाते हैं, एक घर बनाने में
लोग टूट जाते हैं, एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते, बस्तियाँ जलाने में
और जाम टूटेंगे, इस शराबख़ाने में
मौसमों के आने में, मौसमों के जाने में
हर धड़कते पत्थर को, लोग दिल समझते हैं
उम्र बीत जाती है, दिल को दिल बनाने में
फ़ाख़्ता की मजबूरी ,ये भी कह नहीं सकती
कौन साँप रखता है, उसके आशियाने में
दूसरी कोई लड़की, ज़िंदगी में आएगी
कितनी देर लगती है, उसको भूल जाने में

शराब कम कर दे

सँवार नोक पलक अबरूओं में ख़म कर दे
गिरे पड़े हुए लफ़ज़ों को मोहतरमकर दे
ग़ुरूर उस पे बहुत सजता है मगर कह दो
इसी में उसका भला है ग़ुरूर कम कर दे
यहाँ लिबास, की क़मीत है आदमी की नहीं
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे
चमकने वाली है तहरीर मेरी क़िस्मत की
कोई चिराग़ की लौ को ज़रा सा कम कर दे
किसी ने चूम के आँखों को ये दुआ दी थी
ज़मीन तेरी ख़ुदा मोतियों से नम कर दे

Chaand Mukammal Dekha..

Ankh Ney Raat Jab Tak Chaand Mukammal Dekha..
Phir Samander Ko B Hotey Hoay Pagal Dekha....

Raat Bhar Dair Tak Ki Teri Batain Khud Se...
Raat Phir Samne Tere Chehraa Pal Pal Dekha...

Aj Yadon Ki Ghata Toot K Barsi DIl Per...
Aj Hum Ney B Barasta Hoa Badal Dekha...

Hafza Cheen Liya Humse Ghum-e-Duniya Ne....
Aaj Hum Bhool Gaye Usey Jis Ko Kal Dekha....

Ik Larki Thi K Bhot Hansti Thi hum par
Aj Uski ANkhon Sey Bhi Behtaa Kajal Dekhaa....!!!!!!

ख़्वाबों की जगह

भर गये अश्क़ निग़ाहों में ख़्वाबों की जगह
रह गये शाख पे बस काँटे गुलाबों की जगह
रंगीनियाँ बाकी ना रहीं मर गईं हसरतें सारीं
नज़र में बेक़ैफ़ियत बची शबाबों की जगह
अल्फ़ाज़ रक्खे थे सँभाल के बस्ले -याराँ को
हरूफ रह गये ज़ुबाँ तक किताबों की जगह
वक़्ते रुखसत पे ना हम बोले ना वो बोले
रह गये ज़ेहन में सवाल जबाबों की जगह
जुस्तज़ू ज़िंदगी को थी सिमट गई ग़म में
छोटे दरवाज़ों ने जगह ली मेहराबों की जगह

Taptey huye sehra k

Paani ka zakheera bhi, maujood yahin hoga,,
Taptey huye sehra k, zarraat bataatey hen..

बेहोश दिल

जाग जा ओ मेरे बेहोश दिल --
देख जरा किसकी है ये आहट
आया है कोई तेरे दर पर ---
लगता है होगा कोई अनजान
भेज दे इसको वापिस ऐ दिल ---
नहीं तो फिर से मिलेगा तुझे दर्द
मैंने तो दे दी तुझे सलाह ---
ऐ दिल तेरा ही फैसला है अब

नया घर

चाहती तो हूँ नया घर बना लूँ
दरारों से भरें पुराने घर को गिरा दूँ
पर ये करूँ तो करूँ कैसे,क्योंकि...
पुराने रिश्ते दीवारों में ईंट से जड़े हुये है
पुराने घर में यादों की सिलन बहुत है
चाहती हूँ हर दरार मैं भर लूँ
हर गिरती दिवार को नया रंग कर दूँ
पर ये करूँ तो करूँ कैसे क्योंकि...
नये रिश्ते के मिट्टी-गारे की कीमत बहुत है
नये रिश्तों में शक की दिमक बहुत है