भर गये अश्क़ निग़ाहों में ख़्वाबों की जगह
रह गये शाख पे बस काँटे गुलाबों की जगह
रंगीनियाँ बाकी ना रहीं मर गईं हसरतें सारीं
नज़र में बेक़ैफ़ियत बची शबाबों की जगह
अल्फ़ाज़ रक्खे थे सँभाल के बस्ले -याराँ को
हरूफ रह गये ज़ुबाँ तक किताबों की जगह
वक़्ते रुखसत पे ना हम बोले ना वो बोले
रह गये ज़ेहन में सवाल जबाबों की जगह
जुस्तज़ू ज़िंदगी को थी सिमट गई ग़म में
छोटे दरवाज़ों ने जगह ली मेहराबों की जगह
रह गये शाख पे बस काँटे गुलाबों की जगह
रंगीनियाँ बाकी ना रहीं मर गईं हसरतें सारीं
नज़र में बेक़ैफ़ियत बची शबाबों की जगह
अल्फ़ाज़ रक्खे थे सँभाल के बस्ले -याराँ को
हरूफ रह गये ज़ुबाँ तक किताबों की जगह
वक़्ते रुखसत पे ना हम बोले ना वो बोले
रह गये ज़ेहन में सवाल जबाबों की जगह
जुस्तज़ू ज़िंदगी को थी सिमट गई ग़म में
छोटे दरवाज़ों ने जगह ली मेहराबों की जगह
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