Monday, April 13, 2015

वो गुजरा जमाना

सीने में दफन है वो गुजरा जमाना
खामोशी बन गयी जीने का बहाना
दर्द के बदन पे तबस्सुम की पैरहन
निगाहों की उदासी कहती है फसाना
अपने हैं मेरे दूर, मैं खुद से बहुत दूर
तन्हाई ने मुझे बना दिया है दीवाना
उस हुस्न को देखा हमें इश्क हो गया
बरसों तलक मिला रोने का बहाना

किस्मत

मैं उस किस्मत का सबसे पसंदीदा खिलौना हूँ..;
वो रोज़ जोड़ती है मुझे..''फिर से तोड़ने के लिए

नासूर

अपने दिल के घाव को दिखाऊँ कैसे,बन गया है वो नासूर ये बताऊँ कैसे,
छलक आया है जो दर्द आँखों से मेरे,अब मैं उसे दुनिया से छिपाऊँ कैसे...