ऐ मौत जरा ठहर जा अभी कि ,
साथ चलने को राजी नहीं अपना कोई ।
वादे मुताबिक फिर लौट आई पतझड,
फिर शाख से टूटकर गिरा है पत्ता कोई ।
साथ चलने को राजी नहीं अपना कोई ।
वादे मुताबिक फिर लौट आई पतझड,
फिर शाख से टूटकर गिरा है पत्ता कोई ।
देख तेरी एक जिद ने क्या हाल किया ,
कि न तेरा है आज न मेरा कोई ।
बहुत थक गया हूँ दुनिया के झमेलों से ,
चाँद ,क्या सोने की जगह है वहाँ कोई ।
कि न तेरा है आज न मेरा कोई ।
बहुत थक गया हूँ दुनिया के झमेलों से ,
चाँद ,क्या सोने की जगह है वहाँ कोई ।