Monday, April 6, 2015

तेरी यादों में

तेरी यादों में दिल मेरा उदास क्यूँ है
तू पराया होकर भी इतना ख़ास क्यूँ है
यूँ तो हैं दूरियां तेरे मेरे दरमियाँ बहुत
दूर होकर भी तू मेरे इतने पास क्यूँ है
ये क्या हुआ आज अचानक मुझको
इन आँखों में इतनी नमी आज क्यूँ है
दिल तोड़ दिया मेरा कांच की तरह तूने
क्यूँ है खफा मुझसे इतनी नाराज़ क्यूँ है
दिल तोडना तो फितरत नहीं थी कभी तेरी
फिर तेरा बदला बदला ये अंदाज़ क्यूँ है
जानता हूँ तू बिछड़ गया है अब न मिलेगा
फिर भी इस दिल को तेरी तलाश क्यूँ है

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