दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न
देखिए और तुलना कीजिए दो-चार ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं।
निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है।
इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि छवाय’ पास
रखने की सलाह दी है। बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं
मगर सारी धरती पर यदि केवल दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से
नहीं रह सकते।
Wednesday, December 18, 2013
अष्टावक्र
बीस वर्ष की आयु में व्यक्ति का जो चेहरा रहता है,
वह प्रकृति की देन है, तीस वर्ष की आयु का चेहरा जिंदगी के उतार-चढ़ाव की
देन है लेकिन पचास वर्ष की आयु का चेहरा व्यक्ति की अपनी कमाई है।
लता मंगेशकर (अपने ७६वें जन्म दिवस पर)
हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा
जोश है। मुझे महसूस होता है कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज
भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता
बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि जवां महसूस करना अच्छा लगता है।
ओशो
तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर
चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो,
तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम
लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के
प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं
सकता।
भगवान महावीर
आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, मम्त्व रखनेवाला वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता।
सर विलियम जोन्स
इसकी पुरातनता जो भी हो, संस्कृत भाषा एक आश्चर्यजनक
संरचना वाली भाषा है । यह ग्रीक से अधिक परिपूर्ण है और लैटिन से अधिक
शब्दबहुल है तथा दोनों से अधिक सूक्ष्मता पूर्वक दोषरहित की हुई है ।
. हू शिह (अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत)
भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया ।
फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला
यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के
सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना
आरम्भ किया था, तो वह भारत ही है ।
मार्क ट्वेन
भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली
है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है , और प्रथाओं की
परदादी है । मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री
केवल भारत में ही संचित है ।
अलबर्ट आइन्स्टीन
हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती ।
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