दो-चार निंदकों को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न
देखिए और तुलना कीजिए दो-चार ईश्वर-भक्तों से, जो रामधुन लगा रहें हैं।
निंदकों की सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुर्लभ है।
इसीलिए संतों ने निंदकों को ‘आंगन कुटि छवाय’ पास
रखने की सलाह दी है। बारह फकीर एक फटे कंबल में आराम से रात काट सकते हैं
मगर सारी धरती पर यदि केवल दो ही बादशाह रहें तो भी वे एक क्षण भी आराम से
नहीं रह सकते।
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