Wednesday, April 1, 2015

सुनहरा जाम हो जाए

हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाए
चराग़ों की तरह आँखें जलें, जब शाम हो जाए
मैं ख़ुद भी एहतियातन, उस गली से कम गुजरता हूँ
कोई मासूम क्यों मेरे लिए, बदनाम हो जाए

अजब हालात थे, यूँ दिल का सौदा हो गया आख़िर
मुहब्बत की हवेली जिस तरह नीलाम हो जाए
समन्दर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दो हमको
हवायें तेज़ हों और कश्तियों में शाम हो जाए
मुझे मालूम है उसका ठिकाना फिर कहाँ होगा
परिंदा आस्माँ छूने में जब नाकाम हो जाए
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में, ज़िंदगी की शाम हो जाए

Meri ZaaT Se

Batoon Ke HaR Jawab Main iK MukhTasir Si Haan,,,,!
Lagta Hay Meri ZaaT Se UkTa Gaye Ho Tum....*

क्यूँ ख्वाब मे

फिर नींद से जाग कर आस-पास ढ़ूढ़ता हूँ तुम्हें...
क्यूँ ख्वाब मे इतने पास आ जाती हो तुम....

Mai'n bahot Dino se udaas hu'

Usi ishq se,
Usi chaah se,
Usi pyar se,
Usi maan se,,
Mujhe aaj phir se milo na tum.
Mai'n bahot Dino se udaas hu'n,,,,,

वजूद

उसने मिरे वजूद को स्वीकार तो किया।
नफ़रत का ही सही चलो इज़हार तो किया।
नीयत बिगाड़ने को प्रलोभन हज़ार हैं ,
दो-चार बार हमने भी इन्कार तो किया।
वो छूट जायँ बेल पे, ये और बात है ,
फ़ौरन ही मुल्ज़िमो को गिरिफ़्तार तो किया।
हम तो चुनाव हार के भी खुश हैं सोचकर ,
हमने फ़लाँ का रास्ता दुश्वार तो किया।
क़ातिल है इश्क़, मार ही देता तुझे 'नया' ,
इस वाइरस ने छोड़ा प बीमार तो किया।

Muhaabat K Haadsay

Kis Darja Shakin Thy Muhaabat K Haadsay
Hum Zindagi Mian Phir Koi Armaan Na KAr SakAY

Us k shehar ka pani

Mat pooch us k mekhane ka pata E SAAQI
Us k shehar ka to pani b nasha deta hai

ज़िन्दगी का फलसफा

ज़िन्दगी का फलसफा
बुलंदियों को छू जाने का हौसला है...
हर मुश्किल से लड़ जाने का जज़्बा है...
हर अंधरे में उजाले को पाने की चाह है....
खुद पे पूरा विश्वास है...
हर इंसान की होती खुद्की दास्ताँ है ....
फिर भी हर कोई ढूंढ राहा खुद्की पहचान है...
ज़िन्दगी हर पल यहाँ एक सीख है...
हार के बाद भी यहाँ जीत है...
हर लड़ाई से लड़ जाना ही रीत है...
जीवन का हर फलसफा यहाँ लगता कोई नया गीत है...

ये मासअला बड़ा नाज़ुक है

मेरी ज़ुबान पे नये ज़ायकों के फल लिख दे
मेरे खुदा तू मेरे नाम इक ग़ज़ल लिख दे
मैं चाहता हूँ ये दुनियाँ,वो चाहता है मुझे
ये मासअला बड़ा नाज़ुक है कोई हल लिख दे
ये आज जिस का है,उस को मुबारक़ हो
मेरी ज़बीन पे मेरे आँसुओं से कल लिख दे
हवा की तरह मैं बेताब हूँ कि शाख-ए-गुलाब
जो रेगज़ारों (deserts) पे तालाब के कंवल लिख दे
मैं एक लम्हे में दुनियाँ समेत सकता हूँ
तू कब मिले गा अकेले में एक पल लिख दे ... !!!

Ittefaaqan

Ittefaaqan Mil Jaate Ho Jab Tum Raah Mein Kabhi,
Yu Lagta Hai Qareeb Se Zindagi Ja Rahi Ho Jaise...!!!!!