मेरी ज़ुबान पे नये ज़ायकों के फल लिख दे
मेरे खुदा तू मेरे नाम इक ग़ज़ल लिख दे
मैं चाहता हूँ ये दुनियाँ,वो चाहता है मुझे
ये मासअला बड़ा नाज़ुक है कोई हल लिख दे
ये आज जिस का है,उस को मुबारक़ हो
मेरी ज़बीन पे मेरे आँसुओं से कल लिख दे
हवा की तरह मैं बेताब हूँ कि शाख-ए-गुलाब
जो रेगज़ारों (deserts) पे तालाब के कंवल लिख दे
मैं एक लम्हे में दुनियाँ समेत सकता हूँ
तू कब मिले गा अकेले में एक पल लिख दे ... !!!
मेरे खुदा तू मेरे नाम इक ग़ज़ल लिख दे
मैं चाहता हूँ ये दुनियाँ,वो चाहता है मुझे
ये मासअला बड़ा नाज़ुक है कोई हल लिख दे
ये आज जिस का है,उस को मुबारक़ हो
मेरी ज़बीन पे मेरे आँसुओं से कल लिख दे
हवा की तरह मैं बेताब हूँ कि शाख-ए-गुलाब
जो रेगज़ारों (deserts) पे तालाब के कंवल लिख दे
मैं एक लम्हे में दुनियाँ समेत सकता हूँ
तू कब मिले गा अकेले में एक पल लिख दे ... !!!
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