phir usii raah_guzar par shaayad
ham kabhii mil sake magar shaayad
jaan pahachaan se kyaa hogaa
phir bhi ai dost Gaur kar shaayad
muntazir jin ke ham rahe tum ho
mil gaye aur ham_safar shaayad
jo bhii bichhaDe hai kab mile hai 'Faraz'
phir bhii tuu intazaar kar shaayad
Monday, May 23, 2011
phir usii raahguzar par shaayad
pech rakhate ho bahut saaj-o-dastaar ke biich
pech rakhate ho bahut saaj-o-dastaar ke biich
mene sar girate hue dekhe hai baazaar ke biich
[pech = anger; saaj-o-dastaar = turban]
baaGbaano ko ajab ranj se takate hai gulaab gul_farosh
aaj bahut jamaa hai gulzaar ke biich
[ranj = sorrow; gul_farosh = flower sellers]
kaj adaao kii inaayat hai ki ham se ushshaaq
kabhii diivaar ke piichhe kabhii diivaar ke biich
[kaj - crooked; ushshaaq = lovers]
tum ho naa_Khush to yahaa kaun hai Khush phir bhi 'Faraz'
log rahate hai isii shahar-e-dil-e-aazaar ke biich
payaam aaye hai us yaar-e-bevafaa ke mujhe
payaam aaye hai us yaar-e-bevafaa ke mujhe
jise qaraar na aayaa kahii bhulaa ke mujhe
nashe se kahuuN to nahii yaad-e-yaar kaa aalam
ke le uDaa hai koii dosh par havaa ke mujhe
judaaiyaa ho to aisii ki umr bhar na mile
fareb to do zaraa silsile baDaa ke mujhe
mai Khud ko bhuul chukaa tha magar jahaa vaale
udaas chhoD gaye aa_iinaa dikhaake mujhe
kasie maat hai
ajeeb si bechaini hai dil me
pata nahi hui kya baat hai
ghum-e-ishq ka to aadi hu
jaane ye kiski karamaat hai
yu ki raat to aaj hai poonam ki
na dikha chand kaisi kali raat hai
suna hai har raat ka hota ek ant
par meri subah bhuli shuruat hai
ladi bhi nahi maine koi ladaai
phir mujhe mili kasie maat hai
pata nahi hui kya baat hai
ghum-e-ishq ka to aadi hu
jaane ye kiski karamaat hai
yu ki raat to aaj hai poonam ki
na dikha chand kaisi kali raat hai
suna hai har raat ka hota ek ant
par meri subah bhuli shuruat hai
ladi bhi nahi maine koi ladaai
phir mujhe mili kasie maat hai
जन-गण-मन के क्रंदन के
मैं भी गीत सुना सकता हूँ शबनम के अभिनन्दन के
मै भी ताज पहन सकता हूँ नंदन वन के चन्दन के
लेकिन जब तक पगडण्डी से संसद तक कोलाहल है
तब तक केवल गीत पढूंगा जन-गण-मन के क्रंदन के
जब पंछी के पंखों पर हों पहरे बम के, गोली के
जब पिंजरे में कैद पड़े हों सुर कोयल की बोली के
जब धरती के दामन पार हों दाग लहू की होली के
कैसे कोई गीत सुना दे बिंदिया, कुमकुम, रोली के
मैं झोपड़ियों का चारण हूँ आँसू गाने आया हूँ |
घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
कहाँ बनेगें मंदिर-मस्जिद कहाँ बनेगी रजधानी
मण्डल और कमण्डल ने पी डाला आँखों का पानी
प्यार सिखाने वाले बस्ते मजहब के स्कूल गये
इस दुर्घटना में हम अपना देश बनाना भूल गये
सोन -चिरैया सूली पर है पंछी गाना भूल चले
आँख खुली तो माँ का दामन नाखूनों से त्रस्त मिला
जिसको जिम्मेदारी सौंपी घर भरने में व्यस्त मिला
क्या ये ही सपना देखा था भगतसिंह की फाँसी ने
जागो राजघाट के गाँधी तुम्हे जगाने आया हूँ |
घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
एक नया मजहब जन्मा है पूजाघर बदनाम हुए
दंगे कत्लेआम हुए जितने मजहब के नाम हुए
मोक्ष-कामना झांक रही है सिंहासन के दर्पण में
सन्यासी के चिमटे हैं अब संसद के आलिंगन में
तूफानी बदल छाये हैं नारों के बहकावों के
हमने अपने इष्ट बना डाले हैं चिन्ह चुनावों के
ऐसी आपा धापी जागी सिंहासन को पाने की
मजहब पगडण्डी कर डाली राजमहल में जाने की
जो पूजा के फूल बेच दें खुले आम बाजारों में
मैं ऐसे ठेकेदारों के नाम बताने आया हूँ |
घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
कोई कलमकार के सर पर तलवारें लटकाता है
कोई बन्दे मातरम के गाने पर नाक चढ़ाता है
कोई-कोई ताजमहल का सौदा करने लगता है
कोई गंगा-यमुना अपने घर में भरने लगता है
कोई तिरंगे झण्डे को फाड़े-फूंके आजादी है
कोई गाँधी जी को गाली देने का अपराधी है
कोई चाकू घोंप रहा है संविधान के सीने में
कोई चुगली भेज रहा है मक्का और मदीने में
कोई ढाँचे का गिरना यू. एन. ओ. में ले जाता है
कोई भारत माँ को डायन की गाली दे जाता है
लेकिन सौ गाली होते ही शिशुपाल कट जाते हैं
तुम भी गाली गिनते रहना जोड़ सिखाने आया हूँ |
घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
हरी ओम पंवार
मै भी ताज पहन सकता हूँ नंदन वन के चन्दन के
लेकिन जब तक पगडण्डी से संसद तक कोलाहल है
तब तक केवल गीत पढूंगा जन-गण-मन के क्रंदन के
जब पंछी के पंखों पर हों पहरे बम के, गोली के
जब पिंजरे में कैद पड़े हों सुर कोयल की बोली के
जब धरती के दामन पार हों दाग लहू की होली के
कैसे कोई गीत सुना दे बिंदिया, कुमकुम, रोली के
मैं झोपड़ियों का चारण हूँ आँसू गाने आया हूँ |
घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
कहाँ बनेगें मंदिर-मस्जिद कहाँ बनेगी रजधानी
मण्डल और कमण्डल ने पी डाला आँखों का पानी
प्यार सिखाने वाले बस्ते मजहब के स्कूल गये
इस दुर्घटना में हम अपना देश बनाना भूल गये
सोन -चिरैया सूली पर है पंछी गाना भूल चले
आँख खुली तो माँ का दामन नाखूनों से त्रस्त मिला
जिसको जिम्मेदारी सौंपी घर भरने में व्यस्त मिला
क्या ये ही सपना देखा था भगतसिंह की फाँसी ने
जागो राजघाट के गाँधी तुम्हे जगाने आया हूँ |
घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
एक नया मजहब जन्मा है पूजाघर बदनाम हुए
दंगे कत्लेआम हुए जितने मजहब के नाम हुए
मोक्ष-कामना झांक रही है सिंहासन के दर्पण में
सन्यासी के चिमटे हैं अब संसद के आलिंगन में
तूफानी बदल छाये हैं नारों के बहकावों के
हमने अपने इष्ट बना डाले हैं चिन्ह चुनावों के
ऐसी आपा धापी जागी सिंहासन को पाने की
मजहब पगडण्डी कर डाली राजमहल में जाने की
जो पूजा के फूल बेच दें खुले आम बाजारों में
मैं ऐसे ठेकेदारों के नाम बताने आया हूँ |
घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
कोई कलमकार के सर पर तलवारें लटकाता है
कोई बन्दे मातरम के गाने पर नाक चढ़ाता है
कोई-कोई ताजमहल का सौदा करने लगता है
कोई गंगा-यमुना अपने घर में भरने लगता है
कोई तिरंगे झण्डे को फाड़े-फूंके आजादी है
कोई गाँधी जी को गाली देने का अपराधी है
कोई चाकू घोंप रहा है संविधान के सीने में
कोई चुगली भेज रहा है मक्का और मदीने में
कोई ढाँचे का गिरना यू. एन. ओ. में ले जाता है
कोई भारत माँ को डायन की गाली दे जाता है
लेकिन सौ गाली होते ही शिशुपाल कट जाते हैं
तुम भी गाली गिनते रहना जोड़ सिखाने आया हूँ |
घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
हरी ओम पंवार
उसकी ख़ुशी के लिए
ज़ख्म जो दिए मुझे उसने, हर हाल में उन्हें सीना पड़ा,
ज़हर जिंदगी का सवाब समझ, मुस्करा कर पीना पड़ा,
मैं जिसे चाहता था, उसके ग़म में मर भी सकता था,
जो मुझे चाहता था पर, उसकी ख़ुशी के लिए जीना पड़ा....
ज़हर जिंदगी का सवाब समझ, मुस्करा कर पीना पड़ा,
मैं जिसे चाहता था, उसके ग़म में मर भी सकता था,
जो मुझे चाहता था पर, उसकी ख़ुशी के लिए जीना पड़ा....
सबका हाल एक जैसा है
कोई खेल नहीं, कोई मजाक नहीं, ये मुहब्बत जज़बात ऐसा है,
किसी को मिली, किसी को नहीं, पर सबका हाल एक जैसा है...
किसी को मिली, किसी को नहीं, पर सबका हाल एक जैसा है...
baat batye tumhe
baat batye tumhe
aaj us ek raat ki
jab nzaro ne humari
pehli baar baat ki
yu to hamne pahle
hardam munh khola tha
par us pal pahli baar
aankhon se bola tha
chaand mujhe chandni se
jane kyon bharma raha tha
par jo muskaya tha woh
chaand bhi sharma raha tha
hawa bhi machal uthi thi
use thik se dekhne ko
chal padi woh uski or
julfon se khelne ko
udi thi jo julfe uski
chamki kaan ki baali thi
jhuki ti palke uski,gahri ho uthi
uske hontho ki laali thii
chhitak rahi thi chaandni
har ore uske noor ki
chamk jo thi uski biniya me
woh kya hogi kohinoor ki
aata to ro chhat par tha,par
aaj swarg nazar aaya tha
saha nahi gaya do kadmo ka fasla
ki uske paas khinch kar aaya tha
ek sargam baji thi chudiyon ki
ki uska hath tha mere hatho me
kuch moti bikhar pade the yu hi
woh asar tha uski awaazo me
us pal ko sajaya hai
maine apne khwabo me
sambhal rakhi hai aaj bhi
woh chandni apne hatho me
aaj us ek raat ki
jab nzaro ne humari
pehli baar baat ki
yu to hamne pahle
hardam munh khola tha
par us pal pahli baar
aankhon se bola tha
chaand mujhe chandni se
jane kyon bharma raha tha
par jo muskaya tha woh
chaand bhi sharma raha tha
hawa bhi machal uthi thi
use thik se dekhne ko
chal padi woh uski or
julfon se khelne ko
udi thi jo julfe uski
chamki kaan ki baali thi
jhuki ti palke uski,gahri ho uthi
uske hontho ki laali thii
chhitak rahi thi chaandni
har ore uske noor ki
chamk jo thi uski biniya me
woh kya hogi kohinoor ki
aata to ro chhat par tha,par
aaj swarg nazar aaya tha
saha nahi gaya do kadmo ka fasla
ki uske paas khinch kar aaya tha
ek sargam baji thi chudiyon ki
ki uska hath tha mere hatho me
kuch moti bikhar pade the yu hi
woh asar tha uski awaazo me
us pal ko sajaya hai
maine apne khwabo me
sambhal rakhi hai aaj bhi
woh chandni apne hatho me
mukammal nahi
vo bhi mukammal nahi hai muzhse biched ker
MAIN BHI ADHORA SA HI REH GAYA HOUN
MAIN BHI ADHORA SA HI REH GAYA HOUN
न ये मर पायेगा
मेरा खस्ता हाल देखकर,
.................कहा था एक दिन उसने,
यही हाल रहा तुम्हारा,
.................तो जल्द ही मर जाओगे,
मैंने जवाब दिया था कि,
.................जब तक तेरे मिलने कि,
एक भी उम्मीद बाकि है,
.................मुझे कोई ग़म, कोई दर्द,
देखना मिटा न पायेगा,
.................खुदा भी एक दिन झुक जायेगा,
फिर वो मिले मुद्दतो बाद,
.................मुझे देख, हैरत से बोले,
अरे तुम जिन्दा हो अब तक,
.................वही हाल, वही बेहाल से,
मैंने बताया जो सच था,
.................आए तो थे मौत के फ़रिश्ते,
तरस खाकर या नियम से,
.................नहीं मालूम मगर आए जरूर थे,
पूछी जब उन्होंने आखिरी ख्वाहिश,
.................तो मैंने कहा था, बस तुम्हे,
दिल से जरा निकाल बाहर करूँ,
.................फिर ख़ुशी ख़ुशी साथ,
हँसते हँसते चला आऊंगा,
जानती हो, मुस्कराए थे वो,
.................और अलविदा कह गए ये गाते गाते,
ये दीवाना, ज़िन्दगी भर, यूँही पछतायेगा,
न दिल से वो निकलेगा, न ये मर पायेगा....
.................कहा था एक दिन उसने,
यही हाल रहा तुम्हारा,
.................तो जल्द ही मर जाओगे,
मैंने जवाब दिया था कि,
.................जब तक तेरे मिलने कि,
एक भी उम्मीद बाकि है,
.................मुझे कोई ग़म, कोई दर्द,
देखना मिटा न पायेगा,
.................खुदा भी एक दिन झुक जायेगा,
फिर वो मिले मुद्दतो बाद,
.................मुझे देख, हैरत से बोले,
अरे तुम जिन्दा हो अब तक,
.................वही हाल, वही बेहाल से,
मैंने बताया जो सच था,
.................आए तो थे मौत के फ़रिश्ते,
तरस खाकर या नियम से,
.................नहीं मालूम मगर आए जरूर थे,
पूछी जब उन्होंने आखिरी ख्वाहिश,
.................तो मैंने कहा था, बस तुम्हे,
दिल से जरा निकाल बाहर करूँ,
.................फिर ख़ुशी ख़ुशी साथ,
हँसते हँसते चला आऊंगा,
जानती हो, मुस्कराए थे वो,
.................और अलविदा कह गए ये गाते गाते,
ये दीवाना, ज़िन्दगी भर, यूँही पछतायेगा,
न दिल से वो निकलेगा, न ये मर पायेगा....
khairaat ki tarah
sukoon nahi mil pata mujhe kahin
lofg rahte mere pas baraat ki tarah
par isme kasoor bhi to mera hi hai,ki
baanta maine pyar khairaat ki tarah
lofg rahte mere pas baraat ki tarah
par isme kasoor bhi to mera hi hai,ki
baanta maine pyar khairaat ki tarah
tu na hoga
aesaas-e-mohabbat kuch yu hua mujhe,ki
koi mere andar zarra zarra bikhar raha ha
yu to toot jati hain cheeze chot khakar,par
teri bewafai ke baad dil aur nikhar raha hai
apni har mazil paunga,bharosa hai mujhe
tu na hoga wahan bas yahi akhar raha hai
koi mere andar zarra zarra bikhar raha ha
yu to toot jati hain cheeze chot khakar,par
teri bewafai ke baad dil aur nikhar raha hai
apni har mazil paunga,bharosa hai mujhe
tu na hoga wahan bas yahi akhar raha hai
हर सांस पे
हर सांस पे दिल डूबता है, हर लम्हा तुझे याद किया जाता है
किश्तों में यहाँ हम मरते है, पर शर्तो पर जी लिया जाता है....
मिला है मौका
आज, मिला है मौका दिल की बात खुल कर कह जाने दे,
शुक्रिया तेरा होगा बड़ा, साथ अपने कुछ पल रह जाने दे,
तोड़ने से टूटते है, जोड़ने से ये रिश्ते प्यार के जुड़ते है,
शर्तो में न उलझा प्यार को जज़्बात का दरिया बह जाने दे...
नैया अपने जीवन की अब तेरे ही हवाले है मेरे हमदम,
नाहक दिल की बढ़ा न मुश्किल, जो होता है हो वह जाने दे..........
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