ज़ख्म जो दिए मुझे उसने, हर हाल में उन्हें सीना पड़ा,
ज़हर जिंदगी का सवाब समझ, मुस्करा कर पीना पड़ा,
मैं जिसे चाहता था, उसके ग़म में मर भी सकता था,
जो मुझे चाहता था पर, उसकी ख़ुशी के लिए जीना पड़ा....
ज़हर जिंदगी का सवाब समझ, मुस्करा कर पीना पड़ा,
मैं जिसे चाहता था, उसके ग़म में मर भी सकता था,
जो मुझे चाहता था पर, उसकी ख़ुशी के लिए जीना पड़ा....
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