Friday, November 25, 2011

Buhat bewafa ho tum

Aansu jo beh rahey hein inhein behney do
Yeh keh rahey hein dil ki baat, kehney do

Buhat bewafa ho tum, yeh ham ko hai maloom
Tum apni wafa ki baat, apney tak hi rehney do!

Mila to kia mila tumhein chahney kay baad
Bas dukh hi seh rahein hein, hamein sehney do

Tum ney to keh dala sab haal-e-dil apna
Ab mujh ko apni daastaan bhi kehney do

Mar gaye auroon kay liye ham yaara
Tum apni khatir ham ko Zinda rehney do

यही जिन्दगी हैं,यही जिन्दगी हैं

एक माँ का अपने दो बच्चों के साथ,
जोर से होती हुई बरसात से बचते हुए,
बस स्टेशन पर अपने दो मासूमों को,
बड़ी मुश्किल से संभाल पाना,
एक छोटे का गोदी मैं बिलखना,
और एक कुछ बड़े का छतरी को गिराकर न उठाना,
माँ को परेशान करना,
और उस अवस्था मैं अपने पति का इंतज़ार करना की,
वो कुछ ला रहे खुद के और,
बच्चों के खाने केलिए,
जिन्दगी की सच्चाई दिखता हैं,,

हर सुबह निकलता हूँ
एक आम इंसान की तरह,
जिन्दगी की जद्दो जहद में से,
कुछ खुद के लिए,
कुछ खुद वालों के लिए,
खुशियाँ खरीदने के साधन बटोरने,
न इतबार की छुट्टी
न वक़्त की पावंदी,
न खुद के लिए वक़्त,
न घर के लिए,
सिर्फ शिकायतें ही शिकायतें,
कहाँ जाए एक आम इंसान,
घुटता रहता खुद ही खुद में,
क्या यही जिन्दगी हैं,
नहीं हैं इस जिन्दगी के सवालों के जवाब
,न मेरे पास ,
न किसी के पास,
बस यही हकीक़त हैं,
बाबू पापी पेट का सवाल हैं,
यही जिन्दगी हैं,यही जिन्दगी हैं,

इस जहाँ में

मुझे अब सुकून नहीं मिलता इस जहाँ में-के कब आओगी तुम,
तरसता हूँ तेरी एक आवाज़ सुनने को -के कब बतलाओगी तुम,
खुदा के वास्ते कभी तो गले लगा लो मुझे,
पल पल ख़तम हो रही हैं अब जिन्दगी-के कब तक तरसाओगी तुम,

बहुत सी हसरतें हैं बाकी तेरे वादों की मेरे पास,
अब इतनी तो खावर देदो उन वादों की-के कब तक निभाओगी तुम,
अब शायद मेरी तमन्ना मेरी कबर में पूरी हो......
अब टी चैन की नींद सोने दो मुझे-के कब तक जगाओगी तुम......

मुझे अब सुकून नहीं मिलता इस जहाँ में-के कब आओगी तुम,
तरसता हूँ तेरी एक आवाज़ सुनने को -के कब बत्लोगी तुम,

कैसे कहूँ बहुत याद आएगी तू

माना बहुत दूर हैं तू-और दूर हो जाएगी तू,
मेरी यादों से कब तलक खुद को छुपाएगी तू,
मैं तो बहता पानी हूँ तेरी जिन्दगी का,
कभी तो आखों से बहाएगी तू .........

उम्मीदों का होंसला लिए रोके बैठा हूँ खुद को,
कभी तो मेरी यादों से सहम जाएगी तू..........

बद से भी बद्तार हैं हालात मेरे,
कभी तो झूठे से ही अपनाएगी तू,

किस कदर करूं बयां मेरी तन्हाई का आलम,
कभी तो खावों में भी जाग जाएगी तू........

तुझे लगा की एक पत्थर से मोहब्बत की तुने ,
कैसे कहूँ बहुत याद आएगी तू...........

आज नाराज सवेरा हैं और अँधेरी साँझ मेरी,
कभी तो मेरा भी दिया जलाएगी तू.........