Sunday, July 3, 2011

jinke liye

sulagate rahe zindagi bhare jinke liye hum

unhe tab pata chala jab rakh ho gaye hum.....
sulagate rahe zindagi bhar jinke liye hum

unhe tab pata chala jab rakh ho gaye hum.....

जीवन मरण

सिवा अपने इस जगत का आचरण मत देखिए,
काम अपना है तो औरों की शरण मत देखिए,

होती हैं हर पुस्तक में ज्ञान की बातें भरी,
खोलकर पढ़िए भी इसको आवरण मत देखिए,

कंटकों के बीच खिल सकता है कोई फूल भी,
समझने में व्यक्ति को वातावरण मत देखिए,

लक्ष्य पाना है तो सुख की कल्पनाएं छोड़ दो,
लक्ष्य ही बस देखिए आहत चरण मत देखिए,

यदि समझना चाहते हो जगत के ध्रुवसत्य को,
आत्मा को देखिए जीवन मरण मत देखिए...

आँसू समन्दर हो गए होते

नहीं होती अगर बारिश तो पत्थर हो गए होते,
ये सारे लहलहाते खेत बंजर हो गए होते,

तेरे दामन से सारी शहर को सैलाब से रोका,
नहीं तो मैरे ये आँसू समन्दर हो गए होते,

तुम्हें अहले सियासत ने कहीं का भी नहीं रक्खा,
हमारे साथ रहते तो सुख़नवर हो गए होते,

अगर आदाब कर लेते तो मसनद मिल गई होती,
अगर लहजा बदल लेते गवर्नर हो गए होते...

आई.एस.आई

बस इतनी बात पर उसने हमें बलवाई लिक्खा है,
हमारे घर के बरतन पे आई.एस.आई लिक्खा है...

jise chaha siddat se

"Mohabat aur bewafai ka ye dastur ho gya..,
jise chaha siddat se wo door ho gya..,
rah-e-mohabat me akela hu..
rah badli usne kyonki wo majbur ho gya..,
mohabat se badi unhe majburiyan lagi..,
to afsos hai ki main unka mehbub ho gya..,
rahon me ek din milna hua mera..,
kush dekh unhe fir in ankhon me gurur ho gya..,
aur ji bhar ke dekh bhi na ska unko..,
kyonki ab kisi aur ki amanat hai..aur mai majbur ho gya..,
najren bhi mili kuch chahti thi kahena..,
guzarte hue ankhon se ji-huzoor ho gya..,

रात भर जलाता रहा हु मैं

बुझी हुई शमाओ को देख रात भर जलाता रहा हु मैं

भटके हुए रस्तो पर उम्र भर चलता रहा हु मैं



ना मिली मंजिल मुझे ना मिले हमराही दोस्तों

हर मोड़ पर गिर कर खुद सम्हलता रहा हु मैं



तरसा हु रोशनी को जब से मिली है आँखे

टूट कर हर रात तारों सा चमकता रहा हु मैं



क्या हु कैसा हु किसी से ये क्या कहू

झूठ की माटी से सच को गढ़ता रहा हु मैं



उसने भी दिल में दर्द आँखों में सागर भर दिए

एक बूंद पानी के लिए मचलता रहा हु मैं



बुझी हुई शमाओ को देख रात भर जलाता रहा हु मैं

भटके हुए रस्तो पर उम्र भर चलता रहा हु मैं
बुझी हुई शमाओ को देख रात भर जलाता रहा हु मैं

भटके हुए रस्तो पर उम्र भर चलता रहा हु मैं



ना मिली मंजिल मुझे ना मिले हमराही दोस्तों

हर मोड़ पर गिर कर खुद सम्हलता रहा हु मैं



तरसा हु रोशनी को जब से मिली है आँखे

टूट कर हर रात तारों सा चमकता रहा हु मैं



क्या हु कैसा हु किसी से ये क्या कहू

झूठ की माटी से सच को गढ़ता रहा हु मैं



उसने भी दिल में दर्द आँखों में सागर भर दिए

एक बूंद पानी के लिए मचलता रहा हु मैं



बुझी हुई शमाओ को देख रात भर जलाता रहा हु मैं

भटके हुए रस्तो पर उम्र भर चलता रहा हु मैं
बुझी हुई शमाओ को देख रात भर जलाता रहा हु मैं

भटके हुए रस्तो पर उम्र भर चलता रहा हु मैं



ना मिली मंजिल मुझे ना मिले हमराही दोस्तों

हर मोड़ पर गिर कर खुद सम्हलता रहा हु मैं



तरसा हु रोशनी को जब से मिली है आँखे

टूट कर हर रात तारों सा चमकता रहा हु मैं



क्या हु कैसा हु किसी से ये क्या कहू

झूठ की माटी से सच को गढ़ता रहा हु मैं



उसने भी दिल में दर्द आँखों में सागर भर दिए

एक बूंद पानी के लिए मचलता रहा हु मैं



बुझी हुई शमाओ को देख रात भर जलाता रहा हु मैं

भटके हुए रस्तो पर उम्र भर चलता रहा हु मैं