कहाँ अब दुआओ की बरकते वो नसीहते वो हिदायते
ये जरूरतो का खलूस है ये मतलबो का सलाम है
यूँ ही रोज मिलने की आरजू बडी रखरखाव की गुफतुगू
ये शराफत नही बेगरज उसे आपसे कोई काम है
ये जरूरतो का खलूस है ये मतलबो का सलाम है
यूँ ही रोज मिलने की आरजू बडी रखरखाव की गुफतुगू
ये शराफत नही बेगरज उसे आपसे कोई काम है
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