Tuesday, April 7, 2015

नया घर

चाहती तो हूँ नया घर बना लूँ
दरारों से भरें पुराने घर को गिरा दूँ
पर ये करूँ तो करूँ कैसे,क्योंकि...
पुराने रिश्ते दीवारों में ईंट से जड़े हुये है
पुराने घर में यादों की सिलन बहुत है
चाहती हूँ हर दरार मैं भर लूँ
हर गिरती दिवार को नया रंग कर दूँ
पर ये करूँ तो करूँ कैसे क्योंकि...
नये रिश्ते के मिट्टी-गारे की कीमत बहुत है
नये रिश्तों में शक की दिमक बहुत है

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