मोहब्बत का नशा भी अज़ब सा है.. बिना कुछ पिए चढ़ जाता है.. हर पल में जीने का एहसास सा होता है..
छोटी-2 खुशिया भी बड़ी सी लगने लगती है.. उस'से बात हो ना हो, एक मेसेज आने से शाम बन जाती है..
कोयल की आवाज़ भी बाहर वाले पेड़ से सुनाई देने लगी है.. हवाओं में भी अलग सी सरसराहट महसूस होती है..
कानो में हलके से उसकी आवाज़ सुनाई पड़ जाती है.. उसकी मुस्कराहट से अच्छा कोई संगीत लगता ही नहीं है...
राह चलते अक्सर उसकी झलक दिख जाती है.. दिल जानता है वो नहीं है अभी यहाँ, फिर भी भीड़ में उसी के चेहरे
को जाने क्यों ये दिल तलाश करता है.. जब से बताया है उसे अपने दिल का हाल, तब से सारे हाल बेहाल से लगते है..
अपनी तरफ से पूरी कोशिश हो चुकी है, अब उसके इनकार या इकरार की देर है.. साला ये इंतज़ार भी बड़ी कुत्ती चीज़ है..
मज़े के साथ-2 बेकरारी भी बढ़ा देती है.. खैर हां या ना की फ़िक्र ना करके बस इस पल का मज़ा लिए जा रहे है.. प्यार है
भी और नहीं भी, ये भी बड़ा सा कन्फ्यूजन है.. दोस्ती में प्यार या प्यार में दोस्ती, इसी में लगे है.. सबसे अच्छा दोस्त ही
अगर हमसफ़र बन जाए तो फिर मंजिल तक पहुचने में बड़ा मज़ा आये.. मतलब फीलिंग ही ऐसी है की कलम उठाकर कुछ भी लिख दो..
वैसे एक बात तो रह ही गई.. आज पूर्णिमा का चाँद भी कुछ ज्यादा ही बड़ा लग रहा है ।।।।
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