Saturday, October 29, 2011

आधा आँगन बेच दिया

गुल का मसकन बेच दिया, खार का मदफन बेच दिया
चर्चा ये डगर डगर है, माली ने अपना गुलशन बेच दिया.....

भाई के सर पर मेरे दुश्मनों ने इतना सच्चा हाथ रखा
आँगन में इक दीवार की खातिर आधा आँगन बेच दिया...

अपने दिल पर बोझ सहा, न अपने सर पर वार सहा
बीवी की फरमाइश पर उसने माँ का कंगन बेच दिया

क्या हम लेकर आए थे, और क्या हमें लेकर जाना है,
सोचो फिर किसकी खातिर, चैन-ओ-अमन बेच दिया....

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