कहीं पर जग लिए तुम बिन
कहीं पर सो लिए तुम बिन
भरी महफ़िल में अक्सर
अकेले हो लिए तुम बिन
ये पिछले चंद बरसों की
कमाई साथ है अपने
कभी तो हंस लिए तुम बिन
कभी फिर रो लिए तुम बिन..!!
कहीं पर सो लिए तुम बिन
भरी महफ़िल में अक्सर
अकेले हो लिए तुम बिन
ये पिछले चंद बरसों की
कमाई साथ है अपने
कभी तो हंस लिए तुम बिन
कभी फिर रो लिए तुम बिन..!!
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