मेरा सावन भी तुम हो मेरी प्यास भी तुम हो ..!
सेहरा की बाँहों में छुपी आस भी तुम हो..!
तुम यूँ तो बहुत दूर बहुत दूर हो मुझ से..!
एहसास ये होता है मेरे पास भी तुम हो..!
हर ज़ख़्म की आगोश में है दर्द तुम्हारा..!
हर दर्द मैं तस्कीन का एहसास भी तुम हो..!
खो जाओ तो वीरान सी हो जाती हैं राहें..!
मिल जाओ तो फिर जीने का एहसास भी तुम हो..!
लिखता हूँ तो तुम ही उतरती हो कलम से..!
पढता हूँ तो लहजा भी तुम आवाज़ भी तुम हो..!
सेहरा की बाँहों में छुपी आस भी तुम हो..!
तुम यूँ तो बहुत दूर बहुत दूर हो मुझ से..!
एहसास ये होता है मेरे पास भी तुम हो..!
हर ज़ख़्म की आगोश में है दर्द तुम्हारा..!
हर दर्द मैं तस्कीन का एहसास भी तुम हो..!
खो जाओ तो वीरान सी हो जाती हैं राहें..!
मिल जाओ तो फिर जीने का एहसास भी तुम हो..!
लिखता हूँ तो तुम ही उतरती हो कलम से..!
पढता हूँ तो लहजा भी तुम आवाज़ भी तुम हो..!
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