Tuesday, September 18, 2012

मोहोब्बत मोम का घर है

वो कहती है सुनो जाना मोहोब्बत मोम का घर है
तपिश ये बदगुमानी की कहीं पिघला न दे इसको

मैं कहता हूँ की जिस दिल में जरा भी बदगुमानी हो
वहां कुछ और हो तो हो मोहोब्बत हो नहीं सकती
...
वो कहती है सदा ऐसे ही क्या तुम मुझ को चाहोगे
की मैं इस में कमी बिलकुल गंवारा कर नहीं सकती

मैं कहता हूँ मोहोब्बत क्या है ये तुम सिखाया है
मुझे तुम से मोहोब्बत के सिवा कुछ भी नहीं आता

वो कहती है जुदाई से बहुत डरता है मेरा दिल
की खुद को तुम से हट के देखना मुमकिन नहीं है अब

मैं कहता हूँ यही खटके बहुत मुझको सताते है
मगर सच है मोहोब्बत में जुदाई साथ चलती है

वो कहती है बताओ क्या मेरे बिन जी सकोगे तुम
मेरी बातें, मेरी यादें, मेरी आँखें, भुला दोगे

मैं कहता हूँ कभी इस बात पर सोचा नहीं मैंने
अगर एक पल को भी सोचूं तो साँसें रुकने लगती है

वो कहती है तुम्हे मुझसे मोहोब्बत इस कदर क्यों है
की मैं एक आम सी लड़की तुम्हे क्यों ख़ास लगती हूँ

मैं कहता हूँ कभी खुद को मेरी आँखों से तुम देखो
मेरी दीवानगी क्यों है ये खुद ही जान जाओगी

वो कहती है मुझे वारफ्तगी से देखते हो क्यों
की मैं खुद को बहुत कीमती महसूस करती हूँ

मैं कहता हूँ मता-ऐ-जां बहुल अनमोल होती है
तुम्हे जब देखता हूँ जिंदगी महसूस करता हूँ

वो कहती है मुझे अल्फाज़ के जुगनू नहीं मिलते
तुम्हे बतला सकूँ दिल में मेरे कितनी मोहोब्बत है

मैं कहता हूँ मोहोब्बत तो निगाहों से छलकती है
तुम्हारी ख़ामोशी मुझसे तुम्हारी बात करती है

वो कहती है बताओ न किसे खोने से डरते हो
बताओ कौन है वो जिसे ये मौसम बुलाते है

मैं कहता हूँ ये मेरी शायरी है आईना दिल का
बताओ क्या तुम्हे इस में नज़र आया

वो कहती है की सुनिए जी बहुत बातें बनाते हो
मगर सच है ये बातें बहुत शाद रखती हैं

मैं ये कहता हूँ ये सब बातें फ़साने ये सब एक बहाना है
की पल कुछ जिंदगानी के तुम्हारे साथ कट जायें

फिर उसके बाद ख़ामोशी का दिल रक्स होता है
निगाहें बोलती हैं और लब खामोश रहते हैं

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