Thursday, September 20, 2012

अभी अभी

उफान समंदर में आया है अभी अभी !
रुख से पर्दा उसने हटाया है अभी अभी !!

ग़म हो भी तो क्या, मुझे किसी भी दर्द का !
अब-ऐ-हयात बन वो आया है अभी अभी !!

पिलाता ही रह, आज की रात तू साकी !
बाद मुद्दत मुझे होश आया है अभी अभी !!

नज़र न लगाओ, ओ नादाँ तारों !
सनम पे मेरे नूर आया है अभी अभी !!

ठहर कुछ पल, ऐ शब्-ऐ-शोख तू !
खुमार-ऐ-इश्क छाया है अभी अभी !!

सहला लेने दो इन हसीन ज़ख्मों को !
महबूब ने सितम ढाया है अभी अभी !!

No comments:

Post a Comment