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अपनी भीगी हुई पलकों पे सजा लो मुझको,
रिश्ता -ऐ- दर्द समझ कर ही निभा लो मुझको.
चूम लेते हो जिसे देख कर तुम आईना,
अपने चेहरे का वही अक्स बना लो मुझको.
मैं हूँ महबूब अंधेरों का मुझे हैरत है,
कैसे पहचान लिया तुमने उजालों..! मुझको,
छाँव भी दूंगा, दवाओं के भी काम आऊँगा,
नीम का पौधा हूँ आँगन में लगा लो मुझको.
दोस्तों! शीशे का सामान समझ कर बरसों,
तुम्हे संभाला है बहुत, अब तो तुम भी संभालो मुझको.
गए सूरज की तरह लौट कर आ जाऊंगा,
तुमसे मैं रूठ गया हूँ तो मना लो मुझको.
एक आईना हूँ मैं दोस्तों ! कोई पत्थर तो नहीं,
टूट जाउंगा, ना इस तरह बार बार उछालो मुझको.....!!
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अपनी भीगी हुई पलकों पे सजा लो मुझको,
रिश्ता -ऐ- दर्द समझ कर ही निभा लो मुझको.
चूम लेते हो जिसे देख कर तुम आईना,
अपने चेहरे का वही अक्स बना लो मुझको.
मैं हूँ महबूब अंधेरों का मुझे हैरत है,
कैसे पहचान लिया तुमने उजालों..! मुझको,
छाँव भी दूंगा, दवाओं के भी काम आऊँगा,
नीम का पौधा हूँ आँगन में लगा लो मुझको.
दोस्तों! शीशे का सामान समझ कर बरसों,
तुम्हे संभाला है बहुत, अब तो तुम भी संभालो मुझको.
गए सूरज की तरह लौट कर आ जाऊंगा,
तुमसे मैं रूठ गया हूँ तो मना लो मुझको.
एक आईना हूँ मैं दोस्तों ! कोई पत्थर तो नहीं,
टूट जाउंगा, ना इस तरह बार बार उछालो मुझको.....!!
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