हैं लाख गम तो मगर जीते हैं जिये जायेंगे
हम अपनी यादों से तुमको भी रुलायेंगे
करें क्यों हम ये सबर कि आप नहीं आयेंगे
गुज़र के आपके घर से, हम तो यूँ हीं जायेंगे
हम अपनी यादों से तुमको भी रुलायेंगे
करें क्यों हम ये सबर कि आप नहीं आयेंगे
गुज़र के आपके घर से, हम तो यूँ हीं जायेंगे
बहोत हुवा इस ज़माने से क्यों घबराएंगे
किया इश्क जो हमने, तो खुद निभाएंगे
चले भी आओ कि अब हम नहीं बुलाएँगे
मगर तुम्हारे बिना भी, न लौट पाएंगे
दिल आज खुद है परेंसां कब तलक सतायेंगे
कभी तो प्यार से हमको भी वो मनाएंगे....!!
किया इश्क जो हमने, तो खुद निभाएंगे
चले भी आओ कि अब हम नहीं बुलाएँगे
मगर तुम्हारे बिना भी, न लौट पाएंगे
दिल आज खुद है परेंसां कब तलक सतायेंगे
कभी तो प्यार से हमको भी वो मनाएंगे....!!
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