Thursday, April 2, 2015

शाख से टूटे हुए

शाख से टूटे हुए....पत्ते जैसी है ज़िन्दगी..!
सुख दुःख की हवा के झोंके खिलवाड़ करते है..!!
"शोहरत बेशक चुपचाप गुजर जाए..!
कमबख्त..बदनामी बड़ा शोर करती है..!!"
"कभी तुझमे पलती है, कभी मुझमे पलती है..!
ख्वाहिशें.....कभी भी बेघर नही होती....!!"
"किस से करूं अपने दर्द की शिकायत.!
यहां दवा की शीशी मे जहर बिकता है..!!"
"कितनी मासूम होती है ये दिल की धड़कनें..!
कोई सुने ना सुने...ये खामोश नही रहती..!!"

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