Thursday, June 23, 2011

चाँद को दिखाकर

एक नजर ने उलझाया,मेरे ख्वाबों में आकर ..,
अजीब है वो देखती मेरी हाथों में उंगली फंसाकर..,
बात कन्हैया की है करती..महाभारत में उलझा कर..,
मेरी तरफ है फिर देखती-चाँद को दिखाकर ..,

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