Thursday, June 23, 2011

बादल लिये फिरते है हम...

आंखो मे बिजली , हवा , बादल लिये फिरते है हम...
आरझु बरसात की हरपल कीये फिरते है हम.....
क्यूं खफा है हमसे 'आमीन' आज वो ही आसमां !
अपने सर पे सदियों से जीसको लिये फिरते है हम.

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