कभी कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है,जिन बातों को ख़ुद नहीं समझे औरों को समझाया है
हमसे पूछो इज़्ज़त वालों की इज़्ज़त का हाल कभी,हमने भी इस शहर में रह कर थोड़ा नाम कमाया है
कोई मिला तो हाथ मिलाया कहीं गए तो बातें की,घर से बाहर जब भी निकले दिन भर बोझ उठाया है
हमसे पूछो इज़्ज़त वालों की इज़्ज़त का हाल कभी,हमने भी इस शहर में रह कर थोड़ा नाम कमाया है
कोई मिला तो हाथ मिलाया कहीं गए तो बातें की,घर से बाहर जब भी निकले दिन भर बोझ उठाया है
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