Sunday, October 22, 2017

ज़रा ज़रा महकता है


नजाने कोई कितना तुझे चाहूँ
तुझे याद करते-करते
हर सांस में लूँ
नाम तेरा...
बहाने कई पर जीता जाऊँ
तुम पर यूँ मरते-मरते
दिन रात ये पालूँ
ख्वाब मेरा...

बांहों में यूँ ठहरी तू
किस्मत बन के ए जानेजान,
सजदा करूँ, दुआ मांगूँ
खुदा रहे ऐसे मेहरबान...

ज़रा ज़रा महकता है...

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