जब तक चाहे जगाये जा साक़ी,
तू पिलाये जा, पिलाये जा साक़ी......
मेरे होश की फिक्र जरा न कर,
तू अपना फ़र्ज़ निभाये जा साक़ी....
मेरे दर्द से उकता गया तू अगर,
अपना ही ग़म सुनाये जा साक़ी......
देख बुझ रहे, उम्मीद के चिराग़,
नज़र के दीप, जलाये जा साक़ी....
दैर-ओ-हरम में बहुत लफड़े है,
तू अपना नाम जपाये जा साक़ी.....
कोई सहारा नहीं गुनाहगारो का,
तू अपने पास बिठाये जा साक़ी,
दुनिया फरेब देती है, तो देने दे,
तू मेरा साथ निभाये जा साक़ी......
तू पिलाये जा, पिलाये जा साक़ी......
मेरे होश की फिक्र जरा न कर,
तू अपना फ़र्ज़ निभाये जा साक़ी....
मेरे दर्द से उकता गया तू अगर,
अपना ही ग़म सुनाये जा साक़ी......
देख बुझ रहे, उम्मीद के चिराग़,
नज़र के दीप, जलाये जा साक़ी....
दैर-ओ-हरम में बहुत लफड़े है,
तू अपना नाम जपाये जा साक़ी.....
कोई सहारा नहीं गुनाहगारो का,
तू अपने पास बिठाये जा साक़ी,
दुनिया फरेब देती है, तो देने दे,
तू मेरा साथ निभाये जा साक़ी......
No comments:
Post a Comment