Friday, June 10, 2011

ख़ुमार

जाने क्या होगा अबकी बहार में ऐ साक़ी,
बैठे है मेरे कातिल मेरे इंतज़ार में ऐ साक़ी...
न होश अपना, न परवाह जान ही की रहे,
डाल दे वो मस्ती अपने ख़ुमार में ऐ साक़ी...

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