Saturday, June 25, 2011

ख्वाब बेचता हूँ

करने अब कुछ बाकी नहीं ,,,,की अब ख्वाब बेचता हूँ....
तेरा स्वाद बता दे.दोस्त की चिताओ पर हाथ सेंकता हूँ ..

परेशां नहीं हूँ की ज़िन्दगी की लहरे बड़ी भयंकर है,,,,
मै मौत के किनारों से जमीर पर पत्थर फेंकता हूँ,,,,,

लुट गए वादे, बांते, दोस्त, रिश्ते, खुदा वुदा सब,,,
जब खुद को हर ज़गह हर वक़्त मै बेहूदा देखता हूँ...

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