Saturday, June 25, 2011

मेरे ख्वाबों में आकर

एक नजर ने उलझाया,मेरे ख्वाबों में आकर ..,
अजीब है वो देखती मेरी हाथों में उंगली फंसाकर..,
बात कन्हैया की है करती..महाभारत में उलझा कर..,
मेरी तरफ है फिर देखती-चाँद को दिखाकर ..,

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