Saturday, June 25, 2011

एक पुराना खत खोला

खुश्बु जैसे लोग मिले अफसाने मे...
एक पुराना खत खोला अन्जाने मे.

शाम के साये बालिश्तो से नापे है....
चांद ने कितनी देर लगा दी आने मे.

दिल पर दस्तक देने ये कौन आया है..?
किसकी आहट सुनता हुं विराने मे.

जाने किसका झीक्र है अफसाने मे....
दर्द मझा लेता है जो दोहराने मे.

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