Thursday, May 3, 2012

मुझे आजमा के रोये

मेरी दास्ताँ - ऐ - हसरत वो सुना सुना के रोये .
मुझे अजमाने वाले
मुझे आजमा के रोये  .

कोई ऐसा अहल - ऐ -दिल हो के फ़साना - ऐ - मुहबत .
मैं उसे सुना के रोऊँ वो मुझे सुना के रोये .

मेरी आरजू की दुनिया ,दिल - ऐ - नातवां की हसरत .
जैसे खो के आज सदमे में थे ,उसे आज पा के रोये .

उसकी बेवाफैयों पर , उसकी काज अदाओं पर .
कभी सर झुका के रोये , कभी मुह छुपा के रोये .

जो सुनाई अनजाने में सब ग़म की आप बीती .
कई रोओ के मुस्कुराये ,कई मुस्कुरा के रोये .

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