कुछ तो बता ऐ - ज़िन्दगी ये हैरानियाँ क्यूँ हैं,
हर कदम, हर मोड़ पर परेशानियाँ क्यूँ हैं,
आंसुओं के धारे और मायूसी का अँधेरा है,
हर पल ज़िन्दगी में ग़मों की मेहरबानियाँ क्यूँ हैं ,
हर तरफ तन्हैयाँ हर तरफ मायूसियाँ मिली ,
इस भरी दुनिया में मेरे लिए वीरानियाँ क्यूँ हैं ,
मैंने तो अभी आग़ाज़ किया है ज़िन्दगी का साहिल
फिर खंत्म सी होती हुई ये कहानियां क्यूँ हैं
हर कदम, हर मोड़ पर परेशानियाँ क्यूँ हैं,
आंसुओं के धारे और मायूसी का अँधेरा है,
हर पल ज़िन्दगी में ग़मों की मेहरबानियाँ क्यूँ हैं ,
हर तरफ तन्हैयाँ हर तरफ मायूसियाँ मिली ,
इस भरी दुनिया में मेरे लिए वीरानियाँ क्यूँ हैं ,
मैंने तो अभी आग़ाज़ किया है ज़िन्दगी का साहिल
फिर खंत्म सी होती हुई ये कहानियां क्यूँ हैं
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