Thursday, May 17, 2012

रहते हैं ख्यालों मैं

आज कल वोह हम से बात नहीं करते हैं
रात से दिन और दिन से रात नहीं करते हैं

आते रहते हैं ख्यालों मैं हर पल
पर असलियत मैं मुलाकात नहीं करते हैं

कहाँ हैं, कैसे हैं और किस हाल मैं हैं हम
बेरहम कोई सवालात नहीं करते हैं

अश्कों मैं डूब गयी हैं पलकें और फिर जिंदगी भी
बंद बरसना यह अश्क-ऐ-जज़्बात नहीं करते हैं

भूल गए हैं मुस्काना और कोशिश भी छोड़ दी है अब तो
क्या करें मंज़ूर यह हालात नहीं करते हैं

प्यार करते हैं हम उनसे साचा कोई बताये उन्हें उफ़
कोई कसूर हम अजी, हजूरात नहीं करते हैं

खफा क्यूँ हैं? यह पता हो तो मन लें उन को
पर वोह तो कोई भी इशारात नहीं करते हैं

इस दरख़्त के पत्तों पे जो शबनम है सूख न जाए कहीं
कह दो उनसे किसी की जिंदगी यूँ ही बर्बाद नहीं करते हैं

No comments:

Post a Comment