Monday, May 7, 2012

ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तनहा


ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तनहा
काफिला साथ रहा और सफ़र तनहा
अपने साए से भी चौंक जाते है
उम्र गुजरी है इस कदर तनहा
रात भर बोलता रहे सन्नाटे में
रात काटे कोई किधर तनहा
दिन गुजरता नहीं लोगों में
रात होती नहीं बसर तनहा

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