न कहता है कि रात साँसे नहीं लेती .......
फूलो के खिलने में वर्ना वो खुश्बू कहा है
चाँद बोलता नहीं रात में, ये कहता है कौन ……
परिंदो से गुफ़तगू में वर्ना वो याराना कहा है
कौन कहता है कि कोई सपनो में रोता नहीं .......
नूरे-रौशनी का क़तरा वर्ना यु पिछले पहर रात में सुलगता कहा है ..........
रात भी लिखती है ग़ज़ल, ये माने कौन …………
रूहे-अंधेरो के फलक पे लिखता है ये कौन, कोई बताये 'वो कहा है'
डरावने खवाबो सी है रात, ये कहता है कौन ………
उजालो के घावो पर, फिर मरहम जो लगाये वर्ना वो 'आलिम' कहा है ..........
कौन कहता है कि रात साँसे नहीं लेती . ................!!!!!
फूलो के खिलने में वर्ना वो खुश्बू कहा है
चाँद बोलता नहीं रात में, ये कहता है कौन ……
परिंदो से गुफ़तगू में वर्ना वो याराना कहा है
कौन कहता है कि कोई सपनो में रोता नहीं .......
नूरे-रौशनी का क़तरा वर्ना यु पिछले पहर रात में सुलगता कहा है ..........
रात भी लिखती है ग़ज़ल, ये माने कौन …………
रूहे-अंधेरो के फलक पे लिखता है ये कौन, कोई बताये 'वो कहा है'
डरावने खवाबो सी है रात, ये कहता है कौन ………
उजालो के घावो पर, फिर मरहम जो लगाये वर्ना वो 'आलिम' कहा है ..........
कौन कहता है कि रात साँसे नहीं लेती . ................!!!!!
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