एक लड़की थी जिसके सपने मेरे घर तक आते थे
एक लड़की थी जिसके अपने भी लड़कर थक जाते थे
एक लड़की थी जिसके आंसू भी रोये काली रातों में
एक लड़की थी अभागिन लकीरें थी जिसके हाथों में
वो लड़की पगली निर्मोही न जाने कैसे मान गयी
खुद को कुनबे पर दाव लगा क्या करने को ठान गयी
किसी अनजाने का हाथ पकड़कर वो फिर चली गयी
अपनों के ही मोह में आकर अपनों से ही छली गयी
मैं भी था जिसके ख्वाबों का ना उसने ख्याल किया
मैं भी था जिसने उससे फिर न कोई सवाल किया
मैं भी था उन डायन रातों में खुद को तनहा पाता था
मैं भी था लुभावन बातों से खुद को ही समझाता था
जाने क्यों हम दोनों से ये घोर प्रेम-अपराध हुआ
मिट गयी यादें धीरे धीरे फिर न कोई संवाद हुआ
जीवन की भाग दौड़ में यूँ ही इक दशक बीत गया
नियति से लगी होड़ में यूँ ही जीवन-संगीत गया
समंदर की सब लहरों में उसका अक्स खोजता रहा
वो बात नहीं इन चेहरों में यह शख्स सोचता रहा
सुना है वह लड़की अब रोते रोते हंसती है
उसके महल तले प्रेम-स्मृतियों की बस्ती है
अपनी बेटी को गले लगा वो मेरी बातें करती है
अपनों और सपनो की हर इक आहट से डरती है
मन की व्यथा-कथा तेरे देवता कहाँ सुनते हैं
खैर जाने दो आओ ना अब नए ख्वाब बुनते हैं
एक लड़की थी जिसके अपने भी लड़कर थक जाते थे
एक लड़की थी जिसके आंसू भी रोये काली रातों में
एक लड़की थी अभागिन लकीरें थी जिसके हाथों में
वो लड़की पगली निर्मोही न जाने कैसे मान गयी
खुद को कुनबे पर दाव लगा क्या करने को ठान गयी
किसी अनजाने का हाथ पकड़कर वो फिर चली गयी
अपनों के ही मोह में आकर अपनों से ही छली गयी
मैं भी था जिसके ख्वाबों का ना उसने ख्याल किया
मैं भी था जिसने उससे फिर न कोई सवाल किया
मैं भी था उन डायन रातों में खुद को तनहा पाता था
मैं भी था लुभावन बातों से खुद को ही समझाता था
जाने क्यों हम दोनों से ये घोर प्रेम-अपराध हुआ
मिट गयी यादें धीरे धीरे फिर न कोई संवाद हुआ
जीवन की भाग दौड़ में यूँ ही इक दशक बीत गया
नियति से लगी होड़ में यूँ ही जीवन-संगीत गया
समंदर की सब लहरों में उसका अक्स खोजता रहा
वो बात नहीं इन चेहरों में यह शख्स सोचता रहा
सुना है वह लड़की अब रोते रोते हंसती है
उसके महल तले प्रेम-स्मृतियों की बस्ती है
अपनी बेटी को गले लगा वो मेरी बातें करती है
अपनों और सपनो की हर इक आहट से डरती है
मन की व्यथा-कथा तेरे देवता कहाँ सुनते हैं
खैर जाने दो आओ ना अब नए ख्वाब बुनते हैं
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