देवता नहीं ,दरिंदे नजर आते हैं
किसी को किसी से प्रेम नहीं
मतलब परस्त नजर आते हैं ,
कोई किसी को सम्मान नहीं देता
स्वयं दूसरों से मान सम्मान चाहते हैं
कोई भी किसी को देना नहीं चाहता
पर कुछ ना कुछ लेना ही चाहते हैं ,
घर में सबके बहु बेटियां हैं मगर
दूसरों की ,नजर भर देखना चाहते हैं
अपनी तो संभाली नहीं जाती हैं पर
दूसरों की इज्जत संभालनी चाहते हैं ,
अपनी तो खीचड़ रही है चौराहों पर
दूसरों पे कीचड उछालनी चाहते हैं
अपना चेहरा तो पूता है गंदगी से
दूसरों के चेहरे को पोतना चाहते हैं ,
अब कैसे कहें हम आपसे क़िहम भी
बाहर निकल कर कुछ देखना चाहते हैं
पर जनता जनार्दन का ये विद्रूप रूप
देखने मात्र से ही हम क्योँ घबराते हैं |
मतलब परस्त नजर आते हैं ,
कोई किसी को सम्मान नहीं देता
स्वयं दूसरों से मान सम्मान चाहते हैं
कोई भी किसी को देना नहीं चाहता
पर कुछ ना कुछ लेना ही चाहते हैं ,
घर में सबके बहु बेटियां हैं मगर
दूसरों की ,नजर भर देखना चाहते हैं
अपनी तो संभाली नहीं जाती हैं पर
दूसरों की इज्जत संभालनी चाहते हैं ,
अपनी तो खीचड़ रही है चौराहों पर
दूसरों पे कीचड उछालनी चाहते हैं
अपना चेहरा तो पूता है गंदगी से
दूसरों के चेहरे को पोतना चाहते हैं ,
अब कैसे कहें हम आपसे क़िहम भी
बाहर निकल कर कुछ देखना चाहते हैं
पर जनता जनार्दन का ये विद्रूप रूप
देखने मात्र से ही हम क्योँ घबराते हैं |
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