ग़मों की आयतें शब भर छतों पे चलती हैं
इमाम बाड़ों से सैदानियाँ निकलती हैं
उदासियों को सदा दिल के ताक में रखना
ये मोमबत्तियाँ हैं, फ़ुर्सतों में जलती हैं
इमाम बाड़ों से सैदानियाँ निकलती हैं
उदासियों को सदा दिल के ताक में रखना
ये मोमबत्तियाँ हैं, फ़ुर्सतों में जलती हैं
रसोई घर में ये अहसास रोज होता है
तिरी दुआओं के पंखे हवायें झलती हैं
अजीब आग है हमदर्दियों के मौसम की
ग़रीब बस्तियाँ बरसात ही में जलती हैं
ये उलझनें भी ज़रूरी हैं ज़िन्दगी के लिये
समन्दर में यूँ ही मछलियाँ मचलती हैं
तिरी दुआओं के पंखे हवायें झलती हैं
अजीब आग है हमदर्दियों के मौसम की
ग़रीब बस्तियाँ बरसात ही में जलती हैं
ये उलझनें भी ज़रूरी हैं ज़िन्दगी के लिये
समन्दर में यूँ ही मछलियाँ मचलती हैं
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