एक दिन मैं उठूंगा
और निकल जाऊंगा
चुपचाप दबे पांव
बिना किसी से पूछे
बिना किसी को बताये
नहीं,किसी सत्य की खोज में नहीं
किसी मुक्ति की तलाश में भी नहीं
बुद्ध की राह पर भी नहीं
एक दिन मैं उठूंगा
और निकल जाऊंगा
ये गिनने
की आखिर इस दुनिया में
अब कितने बचे हैं
मेरी तरह के लोग
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